Saturday, November 7, 2020

भारत के इतिहास के झूठ

इतिहास विषय में सबसे ज्यादा गलत तथ्यों या शख्सियतों का प्रचार प्रसार किया जाता है और इनमें सबसे ज्यादा मशहूर झूठ है :-

1.) अला उद दीन खिलजी ने हिंदुस्तान को खतरनाक मंगोलो से बचाया

अला उद दींन ने हिंदुस्तान नहीं बल्कि खुद को और अपने साम्राज्य को खुंखार मंगोलो से बचाया क्योंकि अगर मंगोल हिंदुस्तान पे कब्ज़ा कर लेते तो सबसे पहले तो खिलजी और उसके तुर्क अफ़ग़ान दरबारियो को ज़लालत और बर्बरता से बेइज़्ज़त करके मारते जिसके लिए वो कुख्यात थे , अफ़ग़ानिस्तान को तो यह लोग पहले ही मंगोलो के हाथो खो चुके थे इसलिए भाग के जाते भी कहा तो उनके लिए तो यह करो या मरो वाला सवाल था और तो और इन तुर्क अफ़ग़ानों ने कौनसा हिंदुस्तान को प्रताड़ित करने में कोई कसर छोड़ी।

2.) बाबर धर्मनिरपेक्ष शाशक था और हिंदुस्तान में आ के यहाँ का हो गया।

अगर बाबर इसे पढता तो हिन्दुस्तानियो की बेवकूफी पे ठहाका लगा के हस पड़ता। बाबर न कभी धर्मनिरपेक्ष था न उस कभी हिंदुस्तान पसंद था बल्कि उस की आत्मकथा बाबरनामा के माने तो वो भारत की सरज़मीन, नस्ल, मौसम, धर्म सबसे बेइंतहा नफरत करता था।

3.)अकबर महान था।

अकबर महान नहीं बस एक चतुर राजनेता था, एक बार अगर कोई विस्तार से अकबर के बारे में अध्ययन करे तो पायेगा की अकबर को कितना हद से ज़्यादा चढ़ाया गया है, उसकी धर्मनिरपेक्षता के उदहारण दिए जाते है, उसने भले ही जजिया और तीर्थ यात्रा जैसे कर हटाये लेकिन यह महान बादशाह अपनी सहूलियत के हिसाब से इन करो को दोबारा वसूलता था, इससे मालूम चलता है कि अकबर की धरनिर्पेक्षता इसकी आर्थिक हालात पर निर्भर करती थी।

साथ ही साथ अकबर की घिनोनी हरकते और काण्ड जैसे दारूबाजी, अफीमी, अत्यधिक कामुकता, मीना बाजार का काण्ड, अनेक नरसंघार, बच्चियो का यौन शोषण को कितनी चालाकी से छुपा दिया जाता है, ऐसा लंपट नशेड़ी कभी भी महान तो नहीं हो सकता।

4.) महाराणा प्रताप ने अकबर के हाथों अपना साम्राज्य खो दिया और भगोड़े के तरह जंगल में बाकि जीवन व्यतीत किया।

भारत के इतिहास में इससे बड़ा झूठ शायद ही कोई होगा, हमे बताया जाता है कि महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध के बाद हार मान ली और बाकि ज़िन्दगी भगोड़ों की तरह जी जबकि असलियत यह है कि हल्दीघाटी के युद्ध के बाद भी महाराणा प्रताप ने भी कभी हार नहीं मानी और अंतिम सांस तक मुघलो से लोहा लेते रहे और अपनी जीवन के अंत तक 90 प्रतिशत मेवाड़ को मुघलो की गिरफ्त से आज़ाद करवा लिया था।

5.) औरंगज़ेब ने मुग़ल सल्तनत को दक्खन तक फैलाया

औरंगज़ेब ने मुग़ल सल्तनत को दक्खन तक फैलाने की कोशिश ज़रूर की परंतु कामयाब नहीं हो सका, दक्खन हमेशा मुग़ल सरदारों के लिए क़ब्रगाह के नाम से मशहूर रहा क्योंकि कहा जाता है जो भी मुग़ल सरदार दक्खन में स्थान्तरित किया गया मुँह की खाके ही लौटा और कई तो अपनी जान से हाथ धो बैठे और दक्खन हमेशा मुघलो के गिरफ्त से बहार ही रहा।

कहा जाता है जब औरंगजेब अपनी मृत्युशय्या पे लेटा था और अपनी आखरी सांसे गिन रहा था तो उसने अपने दक्खन के मंसूबो को अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती माना था।

6.) मुग़ल काल भारत का स्वर्ण युग था।

बिलकुल गलत! मुग़ल काल भारत का स्वर्ण युग नहीं बल्कि आदिम युग था, हर विदेशी यात्री ने मुग़ल काल में भारत के आम जन में गरीबी और शासन वर्ग की अय्याशी और अत्याचार के बखान दिए है, देश का असली स्वर्ण युग गुप्त और मौर्य शासन था जब हर विदेशी यात्री ने देश की अमीरी और सम्पन्नता के बखान दिए थे।

और भी कई झूठ है जो हमे इतिहास में पढ़ाए जाते है, यह सबसे ज़्यादा प्रचलित है।

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