Wednesday, April 16, 2014

सफलता के 20 मँत्र

सफलता के 20 मँत्र

 


1.खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
10. ईश्वर पर पुरा भरोशा रखो..!
11. प्रार्थना करना कभीमत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..!
14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो,
क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबोही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या
असर होता..?
19." सफलता उनको ही मिलती है जो कुछकरते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही
बल्कि कुछ करना पडता है

Monday, April 14, 2014

उपहार

एक दिन एक सुपरवाइजर ने एक निर्माणाधीन इमरात की छठवीं मंज़िल से नीचे काम कर रहे मज़दूर को आवाज़ दी
किन्तु चल रहे निर्माण के शोर में मज़दूर ने सुपरवाइजरbकी आवाज़ नहीं सुनी.
तब सुपरवाइजर ने मज़दूर का ध्यान आकर्षित कराने केnलिए एक 10 रुपये का नोट फेंका जो मज़दूर के सामने गिरा. मज़दूर ने वह् नोट उठा कर जेब में रख लिया और अपना काम में लग गया.
इसके बाद सुपरवाइजर ने मज़दूर का फिर ध्यान आकर्षित कराने के लिए 50 रुपये का नोट फेंका.
मज़दूर ने नोट उठाया, जेब में रखा और फिर अपने काम में लग गया.

अबकी बार सुपरवाइजर ने मज़दूर का ध्यान आकर्षित कराने के लिए एक कंकड़ उठाया और फेंका जो कि ठीक मज़दूर के सिर पर लगा. इस बार मज़दूर ने सिर उठा कर देखा और सुपरवाइजर ने मज़दूर को अपनी बात समझाई.
यह कहानी हमारी जिन्दगी जैसी है. भगवान ऊपर से हमें कुछ संदेश देना चाहता है पर हम हमारी दुनियादारी में व्यस्त रहते हैं.
फिर भगवान हमें छोटे छोटे उपहार देता है
और हम उन उपहारों को रख लेते हैं यह देखे बिना कि वे कहाँ से आ रहे हैं.
हम भगवान को धन्यवाद नहीं देते हैं और
कहते हैं कि हम भाग्यवान हैं.
फिर भगवान हमें एक कंकड़ मारता है जिसे हम समस्या कहते हैं और फिर हम भगवान की ओर देखते हैं और संवाद करने
का प्रयास करते हैं.
अतः जिन्दगी में हमें जब भी कुछ मिलें तो तुरंत भगवान को धन्यवाद देना न भूलें और उस समय का इंतज़ार न करें
कि भगवान हमें कंकड़ मारे फिर हम उससे संवाद करें.
भगवान को तुरंत धन्यवाद देना न भूलें ............

Friday, April 11, 2014

हिम्मत मत हारो

हिम्मत मत हारो


एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।



किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।

सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।

जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।

ध्यान रखो ,तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी तुम पर गिरेगी। जैसे कि ,तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही तुम्हारी आलोचना करेगा ,कोई तुम्हारी सफलता से ईर्ष्या के कारण तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा । कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े
रहना है बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।

अतः याद रखो !जीवन में सदा आगे बढ़ने के लिए
१)नकारात्मक विचारों को उनके विपरीत सकारात्मक विचारों से विस्थापित करते रहो।
२)आलोचनाओं से विचलित न हो बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो।

पेन्सिल की कहानी (100 % गुण )

पेन्सिल की कहानी


                                                     
एक बालक अपनी दादी मां को एक पत्र लिखते हुए देख रहा था। अचानक उसने अपनी दादी मां से पूंछा,
" दादी मां !" क्या आप मेरी शरारतों के बारे में लिख रही हैं ? आप मेरे बारे में लिख रही हैं, ना "
यह सुनकर उसकी दादी माँ रुकीं और बोलीं , " बेटा मैं लिख तो तुम्हारे बारे में ही रही हूँ, लेकिन जो शब्द मैं यहाँ लिख रही हूँ उनसे भी अधिक महत्व इस पेन्सिल का है जिसे मैं इस्तेमाल कर रही हूँ। मुझे पूरी आशा है कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो ठीक इसी पेन्सिल की तरह होगे। "

यह सुनकर वह बालक थोड़ा चौंका और पेन्सिल की ओर ध्यान से देखने लगा, किन्तु उसे कोई विशेष बात 
नज़र नहीं आयी। वह बोला, " किन्तु मुझे तो यह पेन्सिल बाकी सभी पेन्सिलों की तरह ही दिखाई दे रही है।"
इस पर दादी माँ ने उत्तर दिया,
" बेटा ! यह इस पर निर्भर करता है कि तुम चीज़ों को किस नज़र से देखते हो। इसमें पांच ऐसे गुण हैं, जिन्हें 
यदि तुम अपना लो तो तुम सदा इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो। "

" पहला गुण : तुम्हारे भीतर महान से महान उपलब्धियां प्राप्त करने की योग्यता है, किन्तु तुम्हें यह कभी 
भूलना नहीं चाहिए कि  तुम्हे एक ऐसे हाथ की आवश्यकता है जो निरन्तर तुम्हारा मार्गदर्शन करे। हमारे 
लिए वह हाथ ईश्वर का हाथ है जो सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। "

"दूसरा गुण : बेटा ! लिखते, लिखते, लिखते बीच में मुझे रुकना पड़ता है और फ़िर कटर से पेन्सिल की नोक 
बनानी पड़ती है। इससे पेन्सिल को थोड़ा कष्ट तो होता है, किन्तु बाद में यह काफ़ी तेज़ हो जाती है और अच्छी 
चलती है। इसलिए बेटा ! तुम्हें भी अपने दुखों, अपमान और हार को बर्दाश्त करना आना चाहिए, धैर्य से सहन 
करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से तुम एक बेहतर मनुष्य बन जाओगे।

" तीसरा गुण : बेटा ! पेन्सिल हमेशा गलतियों को सुधारने के लिए रबर का प्रयोग करने की इजाज़त देती है।
इसका यह अर्थ है कि यदि हमसे कोई गलती हो गयी तो उसे सुधारना कोई गलत बात नहीं है। बल्कि ऐसा 
करने से हमें न्यायपूर्वक अपने लक्ष्यों की ओर निर्बाध रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। "

" चौथा गुण : बेटा ! एक पेन्सिल की कार्य प्रणाली में मुख्य भूमिका इसकी बाहरी लकड़ी की नहीं अपितु 
इसके भीतर के 'ग्रेफाईट' की होती है। ग्रेफाईट या लेड की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी,लेख उतना ही सुन्दर होगा। इसलिए बेटा ! तुम्हारे भीतर क्या हो रहा है, कैसे विचार चल रहे हैं, इसके प्रति सदा सजग रहो। "

"अंतिम गुण : बेटा ! पेन्सिल सदा अपना निशान छोड़ देती है। ठीक इसी प्रकार तुम कुछ भी करते हो  तो तुम भी अपना निशान छोड़ देते हो।
अतः सदा ऐसे कर्म करो जिन पर तुम्हें लज्जित न होना पड़े अपितु तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का सिर
गर्व से उठा रहे। अतः अपने प्रत्येक कर्म के प्रति सजग रहो। "

बाज की उड़ान

बाज की उड़ान 

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
 दोस्तों , हममें से बहुत से लोग  उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों  की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर  दिखाइए  क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

तू बहुत क्रूर है।

एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मेँ अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।

छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र
की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक
एक जोरदार तुफान आया।

उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस
हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मेँ कूद गया।

जब तूफान शांत हुआ तब वह
तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोईनही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था।

उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने
पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

उस आदमी को लगा कि भगवान ने
मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा।

धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते
खाकर दिन बिताने लगा। अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया।

उसको लगा कि इस दुनिया मेँ
भगवान है ही नही। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर
ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?

फिर उसने झाड की डालियो और
पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई।

उसने मन ही मन कहा कि आज से
झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा। रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कनेलगी.!

तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।

यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर
बोला तू भगवान नही, राक्षस है।

तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही
तू बहुत क्रूर है।वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था।

कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे
बचाने आये हैं।

दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस
टापू पर मुसीबत मेँ है।

अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते
तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे।

उसने ईश्वर से माफी माँगी और
बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई
थी।

आइसक्रीम

आइसक्रीम

 
एक 9 साल की लड़की आइसक्रीम पार्लर गई..

वेटर : क्या चाहिए ?

लड़की : ये कोन वाली आइसक्रीम कितने की है भैया?

वेटर : 15 रूपये की लड़की ने अपना पॉकेट चेक किया फिर छोटे कोन
वाली आइसक्रीम की कीमत पूछी

वेटर ने गुस्से से कहा :- 12 रूपये की
लड़की ने कहा छोटा वाला कोन दे दीजिये भैया..

वेटर ने एक प्लेट में कोन टेबल पर रख दिया.. लड़की न पैसे दिए और आइसक्रीम खा कर चली गई जब वेटर खली प्लेट लेने गया तो
उसकी आँखों में आंसू आ गए क्यूंकि
उस लड़की ने उसके लिए टिप के रूप में 3 रूपये छोड़ थे......

कहानी का सार ये है: आपके पास जो कुछ भी है उसी से लोगों को खुश रखने की कोशिश कीजिये..!

गर्लफ्रेंड

गर्लफ्रेंड

 
1.पिता कहते है "बेटा पढाई करके कुछ बनो" तो बुरा लगता है,
पर यही बात जब गर्लफ्रेंड कहती है तो लगता है 'केयर'
करती है |

२. गर्लफ्रेंड के लिए माँ-बाप से झूठ बोलते है,पर माँ-बाप के लिए
गर्लफ्रेंड से सच बोलने में भी दस बार सोचना पड़ता है ।

३. गर्लफ्रेंड से शादी के लिए माँ- पिता को छोड़ देते
है, पर माता - पिता केलिए गर्लफ्रेंड को क्यूँ नहीं ?

4. गर्लफ्रेंड से रोज रात में मोबाईल से पूछते है
खाना खाया की नहीं या कितनी रोटी खाई, पर क्या आज तक ये बात
माँ-पिता से पूछी ?

5.गर्लफ्रेंड की एक कसम से सिगरेट छूट जाती है, पर पापा के बार- बार
कहने से क्यूँ नहीं ?

कृपया अपने माँ-बाप की हर बात माने और
उनकी देखभाल करे... और शेयर करके ये सबको बताये
और समझाए,
क्या पता आपकी बात उसके समझ में आ जाये...?

आँखे

आँखे




"18 साल का लड़का ट्रेन में
खिड़की के पास वाली सीट पर
बैठा था...
-
अचानक वो ख़ुशी में जोर से
चिल्लाया "पिताजी" वो देखो, पेड़
पीछे
जा रहा हैं"... .
उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर
हाँथ फिराया...
-
वो लड़का फिर चिल्लाया"
पिताजी वो देखो, आसमान में बादल
भी ट्रेन के
साथ साथ चल रहे हैं"...
.
पिता की आँखों से आंसू निकल गए.
पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था.
उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद
भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर
रहा हैं..
-
आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से
क्यों नहीं दिखाते ??
.
पिता ने कहा की हम लोग डॉक्टर के
पास से
ही आ रहे हैं...
मेरा बेटा जन्म से अँधा था, आज
ही उसको नयी आँखे
मिली है !!


धैर्य

 धैर्य


एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला। उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकरउस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया। बोला, 'दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कबका मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।'
कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहींहो पाती।



Thursday, April 10, 2014

सफलता का रहस्य

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है


Wednesday, April 9, 2014

आइसक्रीम वाला

एक आइसक्रीम वाला रोज एक मोहल्ले में
आइसक्रीम बेचने जाया करता था , उस
कालोनी में सारे पैसे वाले लोग रहा करते
थे . लेकिन वह एक परिवार
ऐसा भी था जो आर्थिक तंगी से गुजर
रहा था. उनका एक चार साल
का बेटा था जो हर दिन खिड़की से उस
आइसक्रीम वाले को ललचाई नजरो से
देखा करता था. आइसक्रीम
वाला भी उसे पहचानने लगा था . लेकिन
कभी वो लड़का घर से बाहर
नहीं आया आइसक्रीम खाने .
एक दिन उस आइसक्रीम वाले का मन
नहीं माना तो वो खिड़की के पास
जाकर उस बच्चे से बोला ,
" बेटा क्या आपको आइसक्रीम
अच्छी नहीं लगती. आप
कभी मेरी आइसक्रीम नहीं खरीदते ? "
उस चार साल के बच्चे ने बड़ी मासूमियत
के साथ कहा ,
" मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद हे . पर माँ के
पास पैसे नहीं हे "
उस आइसक्रीम वाले को यह सूनकर उस
बच्चे पर बड़ा प्यार आया . उसने कहा ,
" बेटा तुम मुझसे रोज आइसक्रीम ले
लिया करो. मुझसे तुमसे पैसे नहीं चाहिए
"
वो बच्चा बहुत समझदार निकला . बहुत
सहज भाव से बोला ,
" नहीं ले सकता , माँ ने कहा हे किसी से
मुफ्त में कुछ लेना गन्दी बात होती हे ,
इसलिए में कुछ दिए बिना आइसक्रीम
नहीं ले सकता "
वो आइसक्रीम वाला बच्चे के मुह से
इतनी गहरी बात सूनकर आश्चर्यचकित रह
गया . फिर उसने कहा ,
" तुम मुझे आइसक्रीम के बदले में रोज एक
पप्पी दे दिया करो . इस तरह मुझे
आइसक्रीम की कीमत मिल
जाया करेगी "
बच्चा ये सुकर बहुत खुश हुआ वो दौड़कर घर
से बाहर आया . आइसक्रीम वाले ने उसे
एक आइसक्रीम दी और बदले में उस बच्चे ने
उस आइसक्रीम वाले के गालो पर एक
पप्पी दी और खुश होकर घर के अन्दर भाग
गया .
अब तो रोज
का यही सिलसिला हो गया.
वो आइसक्रीम वाला रोज आता और एक
पप्पी के बदले उस बच्चे को आइसक्रीम दे
जाता .
करीब एक महीने तक यही चलता रहा .
लेकिन उसके बाद उस बच्चे ने अचानक से
आना बंद कर दिया . अब वो खिड़की पर
भी नजर नहीं आता था .
जब कुछ दिन हो गए तो आइसक्रीम वाले
का मन नहीं मन और वो उस घर पर पहुच
गया . दरवाजा उस बालक की माँ ने
खोला . आइसक्रीम वाले ने उत्सुकता से
उस बच्चे के बारे में पूछा तो उसकी माँ ने
कहा ,
" देखिये भाई साहब हम गरीब लोग हे .
हमारे पास इतना पैसा नहीं के अपने बच्चे
को रोज आइसक्रीम खिला सके . आप
उसे रोज मुफ्त में आइसक्रीम खिलाते रहे.
जिस दिन मुझे ये बात पता चली तो मुझे
बहुत शर्मिंदगी हुई .आप एक अच्छे इंसान हे
लेकिन में अपने बेटे को मुफ्त में आइसक्रीम
खाने नहीं दे सकती . "
बच्चे की माँ की बाते सूनकर उस
आइसक्रीम वाले ने जो उत्तर
दिया वो आप सब के लिए सोचने
का कारण बन सकता हे ,
" बहनजी , कौन कहता हे की में उसे मुफ्त में
आइसक्रीम खिलाता था . में
इतना दयालु या उपकार करने
वाला नहीं हु में व्यापार करता हु . और
आपके बेटे से जो मुझे मिला वो उस
आइसक्रीम की कीमत से कही अधिक
मूल्यवान था . और कम मूल्य की वास्तु
का अधिक मूल्य वसूल करना ही व्यापार
हे ,
एक बच्चे का निश्छल प्रेम पा लेना सोने
चांदी के सिक्के पा लेने से कही अधिक
मूल्यवान हे . आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे
संस्कार दिए हे लेकिन में आपसे पूछता हु
क्या प्रेम का कोई मूल्य नहीं होता ?"
उस आइसक्रीम वाले के अर्थपूर्ण शब्द
सूनकर बालक की माँ की आँखे भीग
गयी उन्होंने बालक
को पुकारा तो वो दौड़कर आ गया .
माँ का इशारा पाते ही बालक दौड़कर
आइसक्रीम वाले से लिपट गया .
आइसक्रीम वाले ने बालक को गोद में
उठा लिया और बाहर जाते हुए कहने
लगा ,
" तुम्हारे लिए आज चोकलेट आइसक्रीम
लाया हु . तुझे बहुत पसंद हे न ?"
बच्चा उत्साह से बोला ,
" हां बहुत "
बालक की माँ ख़ुशी से रो पड़ती है....


एक बेरोजगार आदमी

एक बेरोजगार आदमी, जिसका नाम प्रतीक था. एक बड़ी company में चपरासी की post के लिए interview देने गया..

उससे कुछ सवाल पूछे गए. और फिर एक practical test लिया गया की, “जाकर चाय लेकर आओ.”

वो test में भी पास हो गया.

उसे उसका email देने के लिए कहा गया. पर उसने जवाब दिया “मेरे पास computer नहीं है. और न ही email है.”

“माफ़ करो.” उस employer ने कहा “अगर तुम्हारे पास email नहीं है. इसका मतलब है तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नहीं है. इतनी बड़ी कम्पनी में email के बिना तुम काम नहीं कर सकते. तुम्हे नौकरी नहीं दी जा सकती.”

प्रतीक बहुत निराश हो गया. उसके जेब में केवल 500 रुपये बचे थे.

वो हार नहीं मान सकता था. इसलिए वो दूसरे दिन सुबह सुबह मंडी गया. और वहां से 500 रुपये के टमाटर ख़रीद लाया. पूरा दिन उसने घर घर जाकर टमाटर बेचे. और 300 रुपये का मुनाफ़ा हुआ.

वो हर दिन यही करने लगा. जल्द ही उसने दुसरे काम भी शुरू कर दिए, उसका बहुत मुनाफ़ा होने लगा . एक दूकान ख़रीदी. एक truck ख़रीद लिया. और केवल 5 सालो में प्रतीक की compnay देश की सबसे बड़ी food retailer companies में से एक बन गयी. उसने अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करने के बारे में सोचा. और एक life insurance भी करवा लिया.

फिर एक दिन एक पत्रकार उसका interview लेने आया. उसने उससे कई सवाल पूछे. और घंटो बातें की.

और आखिर में पत्रकार ने उससे उसका email माँगा.

प्रतीक ने जवाब दिया, “मेरे पास email नहीं है.”

पत्रकार बड़ा हैरान हुआ. उसने प्रतीक से कहा, “क्या आप जानते है की email कितनी ज़रूरी चीज़ है. आप आज इतने सफल है. आप सोच सकते है यदि आपके पास email होता तो आप क्या कर रहे होते, कितने अधिक सफल होते?”

प्रतीक ने कुछ देर सोचा फिर जवाब दिया, “अगर मेरे पास email होता तो मैं एक company में चपरासी की नौकरी कर रहा होता.”

इतना तो हम सभी जानते और मानते की हर किसी के पास सारे साधन resources नहीं हो सकते. पर हमारे पास जितना है उससे हम कितना कुछ कर पाते है सफ़लता के असल मायने इसी में है.

 

 

 

संसार की रीति

एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था।
चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को, जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की रीति समझ गया ।
"कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान , लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है!

अंतिम संस्कार

ॐ असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मा अमृतं गमय । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

एक डॉक्टर बड़ी ही तेजी से हॉस्पिटल में घुसा , उसे किसी एक्सीडेंट के मामले में तुरंत बुलाया गया था। अंदर घुसते ही उसने देखा कि जिस लड़के का एक्सीडेंट हुआ है उसके परिजन बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे हैं।

डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता बोला , ” आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से क्यों नहीं करते , आपने आने में इतनी देर क्यों लगा दी ….अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे …”

डॉक्टर ने विनम्रता कहा , ” आई ऍम सॉरी , मैं हॉस्पिटल में नहीं था , और कॉल आने के बाद जितना तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ। कृपया अब आप लोग शांत हो जाइये ताकि मैं इलाज कर सकूँ….”

“शांत हो जाइये !!!” , लड़के का पिता गुस्से में बोला , ” क्या इस समय अगर आपका बेटा होता तो आप शांत रहते ? अगर किसी की लापरवाही की वजह से आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे ?” ; पिता बोले ही जा रहा था।

” भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा , आप लोग दुआ कीजिये मैं इलाज के लिए जा रहा हूँ। ” , और ऐसा कहते हुए डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया।

बाहर लड़के का पिता अभी भी बुदबुदा रहा था , ” सलाह देना आसान होता है , जिस पर बीतती है वही जानता है…”

करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला , ” भगवान् का शुक्र है आपका बेटा अब खतरे से बाहर है। “

यह सुनते ही लड़के के परिजन खुश हो गए और डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे , ” वो कब तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगा…… उसे डिस्चार्ज कब करेंगे….?…”

पर डॉक्टर जिस तेजी से आया था उसी तेजी से वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा।

” ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है , ऐसी क्या जल्दी है कि वो दो मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता ?” लड़के के पिता ने नर्स से कहा।

नर्स लगभग रुंआसी होती हुई बोली , ” आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की एक भयानक एक्सीडेंट में मौत हो गयी , और जब हमने उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका अंतिम संस्कार करने जा रहे थे। और बेचारे अब आपके बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे हैं। “

यह सुन लड़के के परिजन और पिता स्तब्ध रह गए और उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हो गया।

फ्रेंड्स, बहुत बार हम किसी सिचुएशन के बारे में अच्छी तरह जाने बिना ही उसपर रियेक्ट कर देते हैं। पर हमें चाहिए कि हम खुद पर नियंत्रण रखें और पूरी स्थिति को समझे बिना कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें। वर्ना अनजाने में हम उसे ही ठेस पहुंचा सकते हैं जो हमारा ही भला सोच रहा हो।

वृध्दाश्रम


रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले लड़के
की नजरें अचानक एक बुजुर्ग दंपति पर
पड़ी।
उसने देखा कि वो बुजुर्ग
पति अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर
उसे सहारा देते हुए चल रहा था ।
.
थोड़ी दूर जाकर वो दंपति एक
खाली जगह देखकर बैठ गए ।
कपड़ो के पहनावे से वो गरीब ही लग
रहे थे ।
.
तभी ट्रेन के आने के संकेत हुए और
वो चाय वाला अपने काम में लग
गया।शाम में जब वो चाय
वाला वापिस स्टेशन पर
आया तो देखाकि वो बुजुर्ग
दंपति अभी भी उसी जगह बैठे हुए है ।
.
वो उन्हें देखकर कुछ सोच में पड़ गया ।
देर रात तक जब चाय वाले ने उन बुजुर्ग
दंपति को उसी जगह पर
देखा तो वो उनके पास गया और
उनसे पूछने लगा:
बाबा आप सुबह से यहाँ क्या कर रहे
है ? आपको जाना कहाँ है ?
.
बुजुर्ग पति ने अपना जेब से कागज
का एक टुकड़ा निकालकर चाय वाले
को दिया और कहा:
बेटा हम दोनों में से
किसी को पढ़ना नहीं आता,इस
कागज में मेरे बड़े बेटे
का पता लिखा हुआ है ।मेरे छोटे बेटे
ने कहा था कि अगर भैया आपको लेने
ना आ पाये तो किसी को भी ये
पता बता देना, आपको सही जगह
पहुँचा देगा ।
.
चाय वाले ने उत्सुकतावश जब
वो कागज खोला तो उसके होश उड़
गये । उसकी आँखों से एकाएक आंसूओं
की धारा बहने लगी ।
.
उस कागज में लिखा था कि
.
कृपया इन दोनों को आपके शहर के
किसी वृध्दाश्रम में
भर्ती करा दीजिए, बहुत बहुत
मेहरबानी होगी...

काम के प्रदर्शन

काम के प्रदर्शन   


एक लड़का किराने की दुकान पर गया और उसने सिक्का डालनेवाले फोन से एक नंबर डायल किया. दुकानदार उसे देख रहा था और उसकी बातें भी सुन सकता था.

लड़का – मैम, क्या आप मुझे आपके बगीचे की घास काटने का काम देंगीं?

औरत – (फोन के दूसरी ओर) मेरे पास तो पहले से ही एक लड़का काम कर रहा है.

लड़का – मैमे, लेकिन मैं उससे भी कम पैसे में ये काम करने को तैयार हूं.

औरत – लेकिन जो लड़का मेरे यहां काम करता है मैं उसके काम से खुश हूं.

लड़का – (दृढ़ता से) मैम, मैं आपके दालान और गैरेज को भी साफ कर दूंगा और आपके बगीचे को कॉलोनी का सबसे सुंदर बगीचा बना दूंगा.

औरत – धन्यवाद, लेकिन मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है.

लड़के ने मुस्कुराते हुए फोन का रिसीवर रख दिया. दुकानदार यह सब सुन रहा था, उसने लड़के को अपने पास बुलाया और उसससे कहा.

दुकानदार – मुझे तुम्हारा रवैया बहुत अच्छा लगा. मुझे तुम जैसे काम करनेवाले लड़के की ज़रूरत है. तुम यहां काम करोगे?

लड़का – नहीं, धन्यवाद.

दुकानदार – (हैरत से) लेकिन अभी तुम फोन पर काम पाने के लिए मिन्नतें कर रहे थे!

लड़का – नहीं जी, मैं तो अपने काम के प्रदर्शन का जायज़ा ले रहा था. उस महिला के घर काम करने वाला लड़का मैं ही हूं.

कॉफी कप

दोस्तों का एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। वे सभी अपने-अपने करियर में बहुत अच्छा कर रहे थे और खूब पैसे कमा रहे थे। जब आपस में मिलते -जुलते काफी वक़्त बीत गया तो उन्होंने अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिलने का निश्चय किया।
प्रोफेसर साहब ने उन सभी का स्वागत किया और बारी-बारी से उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती स्ट्रेस और काम के प्रेशर पर आ गयी। इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि भले वे अब आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हों पर उनकी लाइफ में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था।
प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे , वे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे सुर बोले , ” डीयर स्टूडेंट्स , मैं आपके लिए गरमा-गरम कॉफ़ी लेकर आया हूँ , लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये। ” ,
लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे , सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये , किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, तो किसी ने शीशे का कप उठाया।
जब सभी के हाथों में कॉफी आ गयी तो प्रोफ़ेसर साहब बोले , ” अगर आपने ध्यान दिया हो तो , जो कप दिखने में अच्छे और महंगे थे आपने उन्हें ही चुना और साधारण दिखने वाले कप्स की तरफ ध्यान नहीं दिया। जहाँ एक तरफ अपने लिए सबसे अच्छे की चाह रखना एक नॉर्मल बात है वहीँ दूसरी तरफ ये हमारी लाइफ में प्रोब्लम्स और स्ट्रेस लेकर आता है।
फ्रेंड्स, ये तो पक्का है कि कप चाय की क्वालिटी में कोई बदलाव नहीं लाता। ये तो बस एक जरिया है जिसके माध्यम से आप कॉफी पीते हैं… असल में जो आपको चाहिए था वो बस कॉफ़ी थी, कप नहीं , पर फिर भी आप सब सबसे अच्छे कप के पीछे ही गए और अपना लेने के बाद दूसरों के कप निहारने लगे। ये लाइफ कॉफ़ी की तरह है ; हमारी नौकरी , पैसा , पोजीशन , कप की तरह हैं। ये बस लाइफ जीने के साधन हैं खुद लाइफ नहीं ! और हमारे पास कौन सा कप है ये न हमारी लाइफ को डिफाइन करता है और ना ही उसे चेंज करता है। कॉफी की चिंता करिये कप की नहीं। दुनिए के सबसे खुशहाल लोग वो नहीं होते जिनके पास सबकुछ सबसे बढ़िए होता है , वे तो जो होता है बस उसका सबसे अच्छे से यूज़ करते हैं। सादगी से जियो। सबसे प्रेम करो। सबकी केअर करो। यही असली जीना है।”

माँ

एक बार पढ़े ज़रूर
बाहर बारिश हो रही थी और अन्दर
क्लास चल रही थी ,
तभी टीचर ने बच्चों से पूछा कि अगर
तुम सभी को 100-100 रुपये दिए जाए
तो तुम सब
क्या क्या खरीदोगे ?
किसी ने कहा कि मैं वीडियो गेम
खरीदुंगा,
किसी ने कहा मैं क्रिकेट का बेट
खरीदुंगा ,
किसी ने कहा कि मैं अपने लिए
प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी,
तो किसी ने कहा मैं बहुत
सी चॉकलेट्स खरीदुंगी |
एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था ,
टीचर ने उससे
पुछा कि तुम क्या सोच रहे हो ?
तुम क्या खरीदोगे ?
बच्चा बोला कि टीचर जी,
मेरी माँ को थोड़ा कम
दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के
लिए एक
चश्मा खरीदूंगा ‌।
टीचर ने पूछाः तुम्हारी माँ के लिए
चश्मा तो तुम्हारे
पापा भी खरीद सकते है, तुम्हें अपने
लिए कुछ नहीं खरीदना ?
बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर
का भी। गला भर आया |
बच्चे ने कहा कि मेरे पापा अब इस
दुनिया में नहीं है |
मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे
पढ़ाती है और कम दिखाई देने
की वजह से वो ठीक से कपड़े
नहीं सिल पाती है
इसीलिए मैं
मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ
ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ,
बड़ा आदमी बन सकूँ और
माँ को सारे सुख दे सकूँ.

कोशिश करे तो आपका कोई अंत नहीं

एक बार एक बहुत ही ऊँचे पहाड़ पर एक बाज़ का घोंसला था. और उसमे बहुत बड़े बड़े 4 अंडे थे. जिनमे से कुछ ही दिनों में बच्चे निकलने वाले थे.

तभी एक दिन अचानक से पहाड़ की चट्टानें भूकंप से हिलने लगी. और घोंसले में से एक अंडा नीचे लुढ़क गया. और नीचे रहने वाले एक किसान के मुर्गियों के बिच चला गया.

उस अंडे को देख उन सभी मुर्गियों को बहुत ही हैरानी हुई. उन्हें ज्यादा कुछ समझ नहीं आया. पर फिर भी उन्होंने उस अंडे को बचाने का बीड़ा उठाया. और कुछ ही दिनों में उसमे से एक छोटा सा बाज़ का बच्चा निकला.

मुर्गियों ने उस बाज़ के बच्चे को मुर्गियों की तरह ही पाला. और अपने साथ रखा. धीरे धीरे समय बीता और बाज़ बड़ा हो गया. उसे अपने परिवार के साथ अच्छा तो लगता था. पर कुछ ख़ाली सा लगता था.

एक दिन उसने आसमान में कुछ दुसरे बाजों को उड़ते हुए देखा. और उसके मन में एक लहर दौड़ उठी. वो सोचने लगा की काश वो भी उन पंछियों की तरह आकाश में उड़ पाता. पर उसकी ऐसी सोच पर मुर्गियों ने उसका मजाक उड़ाया और कहा, “ तुम एक मुर्गी हो, तुम इतनी ऊपर नहीं उड़ सकते. बेकार के सपने देखना बंद करो.”

ऐसा कई बार हुआ. बाज़ उड़ने की बात करता और मुर्गिया उसका हौसला बिगाड़ देती.

आखिर बाज़ ने उड़ने का सपना छोड़ दिया. और एक साधारण सी मुर्गी का जीवन व्यापन करने लगा.

उसे अपनी शक्ति का भी एहसास नहीं था. और न ही कभी हुआ. क्योंकि उसके साथी उसे कभी वो करने ही नहीं देते थे जो वो करना चाहता था.

पर गलती क्या मुर्गियों की थी? नहीं. उन्हें तो लगता था की बाज भी एक मुर्गी ही है. और उसकी अपनी सीमाय. तो क्या गलती बाज की थी? नहीं ऐसा भी नहीं है. पर ये बात जरुर है की वो चाहता तो उड़ने की कोशसिह कर सकता था. अपने अन्दर के विश्वास से.

वो अपने सपने पुरे कर सकता था. जो उसने नहीं किया.

और अंत में उसकी मृत्यु एक मुर्गी की तरह हो गयी.

कहानी का आशय बस इतना है. हर व्यक्ति की अपनी सीमाय होती है. जो या तो हालात बनाते है या व्यक्ति खुद बना सकता है.
हमें लोग पीछे हटने को इसलिए कहते है क्योंकि जहां उनकी सीमाय खत्म हो जाती है. उन्हें लगता है दूसरों के सपनो का भी वही अंत है.
वे अपनी जगह सही है. वो उससे आगे नहीं बढ़ सकते. क्योंकि उन्हें उसके आगे नहीं जाना है. वो उनकी इच्छा उनकी सोच है.

पर अगर आप कोशिश करे तो आपका कोई अंत नहीं. बस ऊँची उड़ान भरिये.

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