Friday, May 30, 2014

लक्ष्य



एक गाँव मे साधु रहा करता था ,वो जब भी नाचता तो बारिस होती थी . अतः गाव के लोगों को जब भी बारिस की जरूरत होती थी ,तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते की वे नाचे , और जब वो नाचने लगता तो बारिस ज़रूर होती.
कुछ दिनों बाद चार लड़के शहर से गाँव में घूमने आये, जब उन्हें यह बात मालूम हुई की किसी साधू के नाचने से बारिस होती है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ .
शहरी पढाई लिखाई के घमंड में उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दे दी कि हम भी नाचेंगे तो बारिस होगी और अगर हमारे नाचने से नहीं ुई तो उस साधु के नाचने से भी नहीं होगी.फिर क्याथा अगले दिन सुबह-सुबह ही गाँव वाले उन लड़कों को लेकर साधु की कुटिया पर पहुंचे.
साधु को सारी बात बताई गयी , फिर लड़कों ने नाचना शुरू किया , आधे घंटे बीते और पहला लड़का थक कर बैठ गया पर बादल नहीं दिखे , कुछ देर में दूसरे ने भी यही किया और एक घंटा बीतते-बीतते बाकी दोनों लड़के भी थक कर बैठ गए, पर बारिश नहीं हुई.
अब साधु की बारी थी , उसने नाचना शुरू किया, एक घंटा बीता, बारिश नहीं हुई, साधु नाचता रहादो घंटा बीता बारिश नहीं हुई….पर साधु तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ,धीरे-धीरे शाम ढलने लगी कि तभी बादलों की गड़गडाहत सुनाई दी और ज़ोरों की बारिश होने लगी . लड़केदंग रह गए
और तुरंत साधु से क्षमा मांगी और पूछा-
बाबा भला ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचने से बारिस नहीं हुई और आपके नाचने से हो गयी ?”
साधु ने उत्तर दिया – ” जब मैं नाचता हूँ तो दो बातों का ध्यान रखता हूँ , पहली बात मैं ये सोचता हूँ कि अगर मैं नाचूँगा तो बारिस को होना ही पड़ेगा और दूसरी ये कि मैं तब तक नाचूँगा जब तक कि बारिस हो जाये .”
सफलता पाने वालों में यही गुण विद्यमान होता है वो जिस चीज को करते हैं उसमे उन्हें सफल होने का पूरा यकीन होता है और वे तब तक उस चीज को करते हैं जब तक कि उसमे सफल ना हो जाएं. इसलिए यदि हमें सफलता हांसिल करनी है तो उस साधु की तरह ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होगा.

Thursday, May 29, 2014

कीमत

एक बार लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पुछा – “पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है ?”
पिताजी एक छोटे से बच्चे से ऐसा गंभीर सवाल सुन कर हैरान रह गये.
फिर वे बोले “बेटे एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वो तो अनमोल है.”
बालक – क्या सभी उतना ही कीमती और महत्त्वपूर्ण हैं ?
पिताजी – हाँ बेटे.
बालक कुछ समझा नही उसने फिर सवाल किया – तो फिर इस दुनिया मे कोई गरीब तो कोई अमीर क्यो है? किसी की कम रिस्पेक्ट तो कीसी की ज्यादा क्यो होती है?
सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्टोर रूम में पड़ा एक लोहे का रॉड लाने को कहा.
रॉड लाते ही पिताजी ने पुछा – इसकी क्या कीमत होगी?
बालक – 200 रूपये.
पिताजी – अगर मै इसके बहुत से छोटे-छटे कील बना दू तो इसकी क्या कीमत हो जायेगी ?
बालक कुछ देर सोच कर बोला – तब तो ये और महंगा बिकेगा लगभग 1000 रूपये का .
पिताजी – अगर मै इस लोहे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो?
बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला ” तब तो इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो जायेगी.”


फिर पिताजी उसे समझाते हुए बोले – “ठीक इसी तरह मनुष्य की कीमत इसमे नही है की अभी वो क्या है, बल्की इसमे है कि वो अपने आप को क्या बना सकता है.”
बालक अपने पिता की बात समझ चुका था .

Friends अक्सर हम अपनी सही कीमत आंकने मे गलती कर देते है. हम अपनी present status को देख कर अपने आप को valueless समझने लगते है. लेकिन हममें हमेशा अथाह शक्ति होती है. हमारा जीवन हमेशा सम्भावनाओ से भरा होता है. हमारी जीवन मे कई बार स्थितियाँ अच्छी नही होती है पर इससे हमारी Value कम नही होती है. मनुष्य के रूप में हमारा जन्म इस दुनिया मे हुआ है इसका मतलब है हम बहुत special और important हैं . हमें हमेशा अपने आप को improve करते रहना चाहिये और अपनी सही कीमत प्राप्त करने की दिशा में बढ़ते रहना चाहिये.

Wednesday, May 28, 2014

खामोश

एक सच छुपा होता है -:
जब कोई किसी को कहता है कि
"मजाक था यार।"
.
.
एक संवेदना छुपी होती है -:
जब कोई कहता है कि
"मुझे कोई फर्क नही पड़ता।"
.
.
एक दर्द छुपा होता है-:
जब कोई कहता है
"इट्स ओके।"
.
.
एक जरूरत छुपी होती है -:
जब कोई कहता है
"मुझे अकेला छोड़ दो।"
.
.
एक गहरी बात छुपी होती है-:
जब कोई कहता है
"पता नही।"
.
.
एक समंदर छुपा होता है
बातों का -:
"जब कोई खामोश रहता है।"

Wednesday, May 21, 2014

पुरुषार्थ




एक विदेशी महिला विवेकानंद के समीप
आकर बोली: "
मैं आपस शादी करना चाहती हूँ "
विवेकानंद बोले: " क्यों?
मुझसे क्यों ?
क्या आप जानते
नहीं की मैं सन्यासी हूँ?"
औरत बोली: "मैं आपके
जैसा ही गौरवशाली,सुशील
और तेजोमयी पुत्र चाहती हूँ और वो तब
ही संभव
होगा जब आप मुझसे
विवाह करेंगे"
विवेकानंद बोले: "हमारी शादी तो संभव
नहीं है, परन्तु
हाँ एक उपाय है"
औरत: क्या?
विवेकानंद बोले "आज से मैं
ही आपका पुत्र बन जाता हूँ,
आज से आप मेरी माँ बन
जाओ...
आपको मेरे रूप में मेरे जैसा बेटा मिल
जायेगा ।
औरत विवेकानंद के चरणों में गिर गयी और
बोली की आप साक्षात् ईश्वर के रूप है ।
इसे कहते है पुरुष और ये होता है
पुरुषार्थ...
एक सच्चा पुरुष सच्चा मर्द
वो ही होता है जो हर नारी के
प्रति अपने अन्दर
मातृत्व
की भावना उत्पन्न कर सके ...

15 सत्य वचन

तेरे गिरने मैं तेरी हार नही क्यूंकि तू  .................       आदमी हैं अवतार नही....


15 सत्य वचन



1)➤दूसरों की गलतियों से सीखो अपने
ही ऊपर प्रयोग करके सीखने
को तुम्हारी आयु
कम पड़ेगी।
2)➤किसी भी व्यक्ति को बहुत
ईमानदार
नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और
व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।
3)➤अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब
भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश
भले
ही न दो पर दंश दे सकने
की क्षमता का दूसरों को अहसास
करवाते
रहना चाहिए।
4)➤हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ
जरूर
होता है, यह कड़वा सच है।
5)➤कोई भी काम शुरू करने के पहले
तीन
सवाल अपने आपसे पूछो... मैं
ऐसा क्यों करने
जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ?
क्या मैं सफल रहूँगा?
6)➤भय को नजदीक न आने दो अगर यह
नजदीक आये इस पर हमला कर
दो यानी भय से
भागो मत इसका सामना करो।
7)➤दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष
का विवेक और
महिला की सुन्दरता है।
8)➤काम का निष्पादन करो, परिणाम
से मत
डरो।
9)➤सुगंध का प्रसार हवा के रुख
का मोहताज़
होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में
फैलती है।"
10)➤ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में
बसता है
अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ।
11)➤व्यक्ति अपने आचरण से महान
होता है
जन्म से नहीं।
12)➤ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से
ऊपर
या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह
तुम्हारे
कष्ट का कारण बनेगे। समान स्तर के
मित्र
ही सुखदायक होते हैं।
13)➤अपने बच्चों को पहले पांच साल
तक खूब
प्यार करो। छः साल से पंद्रह साल तक
कठोर
अनुशासन और संस्कार दो। सोलह साल
से
उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो।
आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र
है।"
14)➤अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे
के
लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।
15)➤शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है।
शिक्षित
व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है।
शिक्षा की शक्ति के आगे
युवा शक्ति और
सौंदर्य
दोनों ही कमजोर है।

Tuesday, May 6, 2014

डर का सामना

डर का सामना

एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”
स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”

लक्ष्य पर ध्यान लगाओ



लक्ष्य पर ध्यान लगाओ

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”

Monday, May 5, 2014

मंदिर में भंडारा

क्या गुजरी होगी उस बुढ़ी माँ के दिल पर जब उसकी बहु ने कहा -:
"माँ जी, आप अपना खाना बना लेना, मुझे और इन्हें आज एक पार्टी में जाना है ...!!"
बुढ़ी माँ ने कहा -: "बेटी मुझे गैस चुल्हा चलाना नहीं आता ...!!"
तो बेटे ने कहा -: "माँ, पास वाले मंदिर में आज भंडारा है , तुम वहाँ चली जाओ ना खाना बनाने की कोई नौबत ही नहीं आयेगी....!!!"
माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन कर मंदिर की ओर हो चली.....
यह पुरा वाक्या 10 साल का बेटा रोहन सुन रहा था |
पार्टी में जाते वक्त रास्ते में रोहन ने अपने पापा से कहा -:
"पापा, मैं जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ना तब मैं भी अपना घर किसी मंदिर के पास
ही बनाऊंगा ....!!!
माँ ने उत्सुकतावश पुछा -: क्यों बेटा ?
.
.
.
.
रोहन ने जो जवाब दिया उसे सुनकर उस बेटे और बहु का सिर शर्म से नीचे झुक गया जो अपनी माँ को मंदिर में छोड़ आए थे.....
रोहन ने कहा -: क्योंकि माँ, जब मुझे भी किसी दिन ऐसी ही किसी पार्टी में जाना होगा
तब तुम भी तो किसी मंदिर में भंडारे में खाना खाने जाओगी ना और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कहीं दूर के मंदिर में जाना पड़े....!

पूर्णविराम

पत्नी का पत्र !
.
.
गांव में एक स्त्री थी - चंदा । उसके पति आई.टी.आई मे थे जिन्हें वह पत्र लिखना चाहती थी, पर कम पढ़ी होने के कारण उसे यह पता नहीं था कि पूर्णविराम (Full Stop) कहां लगेगा ।
इसीलिये वह मनमानी पूर्णविराम लगा देती थी ।
.
.
एक बार उसने अपने पति को कुछ इस प्रकार चिठ्ठी लिखी:-
.
.
”मेरे प्यारे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणो मे।
आप ने अभी तक चिट्टी नहीं लिखी मेरी सहेली को। नौकरी मिल गयी है हमारी गाय को। बछडा दिया है दादाजी ने। शराब की लत लगाली है मैने। तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आये कुत्ते के बच्चे। भेड़िया खा गया दो महीने का राशन। छुट्टी पर आते समय ले आना एक खूबसूरत औरत। मेरी सहेली बन गई है। और इस समय टीवी पर गाना गा रही है हमारी बकरी। बेच दी गयी है तुम्हारी मां। तुमको बहुत याद कर रही है एक पडोसन। हमें बहुत तंग करती है।
तुम्हारी चंदा।

जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ

बहुत समय पहले की बात है , आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक किसान रहता था . उसे अपने खेत में काम करने वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक जगह , जहाँ आये दिन आंधी –तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम करने को तैयार नहीं होता था .

किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत है . किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के बारे में सुनता , वो काम करने से मन कर देता . अंततः एक सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास पहुंचा .
किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म , बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने उत्तर दिया .
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया.
मजदूर मेहनती निकला , वह सुबह से शाम तक खेतों में म्हणत करता , किसान भी उससे काफी संतुष्ट था .कुछ ही दिन बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने लगी , किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने वाला है . वह तेजी से उठा , हाथ में लालटेन ली और मजदूर के झोपड़े की तरफ दौड़ा .
“ जल्दी उठो , देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है , इससे पहले की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कास दो .” किसान चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला , “ नहीं जनाब , मैंने आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ !!!.”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया , जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे , पर अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा .
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयी , फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से ढकी भी थी , उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था . साड़ी चीजें बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई संभावना नहीं बची थी.किसान अब मजदूर की ये बात कि “ जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था , और अब वो भी चैन से सो सकता था .
मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं , ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से तैयारी कर के रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत रह सकता है, इत्यादि.
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें – ” जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ.”

Wednesday, April 16, 2014

सफलता के 20 मँत्र

सफलता के 20 मँत्र

 


1.खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
10. ईश्वर पर पुरा भरोशा रखो..!
11. प्रार्थना करना कभीमत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..!
14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो,
क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबोही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या
असर होता..?
19." सफलता उनको ही मिलती है जो कुछकरते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही
बल्कि कुछ करना पडता है

Monday, April 14, 2014

उपहार

एक दिन एक सुपरवाइजर ने एक निर्माणाधीन इमरात की छठवीं मंज़िल से नीचे काम कर रहे मज़दूर को आवाज़ दी
किन्तु चल रहे निर्माण के शोर में मज़दूर ने सुपरवाइजरbकी आवाज़ नहीं सुनी.
तब सुपरवाइजर ने मज़दूर का ध्यान आकर्षित कराने केnलिए एक 10 रुपये का नोट फेंका जो मज़दूर के सामने गिरा. मज़दूर ने वह् नोट उठा कर जेब में रख लिया और अपना काम में लग गया.
इसके बाद सुपरवाइजर ने मज़दूर का फिर ध्यान आकर्षित कराने के लिए 50 रुपये का नोट फेंका.
मज़दूर ने नोट उठाया, जेब में रखा और फिर अपने काम में लग गया.

अबकी बार सुपरवाइजर ने मज़दूर का ध्यान आकर्षित कराने के लिए एक कंकड़ उठाया और फेंका जो कि ठीक मज़दूर के सिर पर लगा. इस बार मज़दूर ने सिर उठा कर देखा और सुपरवाइजर ने मज़दूर को अपनी बात समझाई.
यह कहानी हमारी जिन्दगी जैसी है. भगवान ऊपर से हमें कुछ संदेश देना चाहता है पर हम हमारी दुनियादारी में व्यस्त रहते हैं.
फिर भगवान हमें छोटे छोटे उपहार देता है
और हम उन उपहारों को रख लेते हैं यह देखे बिना कि वे कहाँ से आ रहे हैं.
हम भगवान को धन्यवाद नहीं देते हैं और
कहते हैं कि हम भाग्यवान हैं.
फिर भगवान हमें एक कंकड़ मारता है जिसे हम समस्या कहते हैं और फिर हम भगवान की ओर देखते हैं और संवाद करने
का प्रयास करते हैं.
अतः जिन्दगी में हमें जब भी कुछ मिलें तो तुरंत भगवान को धन्यवाद देना न भूलें और उस समय का इंतज़ार न करें
कि भगवान हमें कंकड़ मारे फिर हम उससे संवाद करें.
भगवान को तुरंत धन्यवाद देना न भूलें ............

Friday, April 11, 2014

हिम्मत मत हारो

हिम्मत मत हारो


एक दिन एक किसान का गधा कुएँ में गिर गया ।वह गधा घंटों ज़ोर -ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि गधा काफी बूढा हो चूका था,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ।



किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी। जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से चीख़ चीख़ कर रोने लगा । और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से शांत हो गया।

सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।

जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर कूदकर बाहर भाग गया।

ध्यान रखो ,तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी तुम पर गिरेगी। जैसे कि ,तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही तुम्हारी आलोचना करेगा ,कोई तुम्हारी सफलता से ईर्ष्या के कारण तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा । कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े
रहना है बल्कि साहस के साथ हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।

अतः याद रखो !जीवन में सदा आगे बढ़ने के लिए
१)नकारात्मक विचारों को उनके विपरीत सकारात्मक विचारों से विस्थापित करते रहो।
२)आलोचनाओं से विचलित न हो बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो।

पेन्सिल की कहानी (100 % गुण )

पेन्सिल की कहानी


                                                     
एक बालक अपनी दादी मां को एक पत्र लिखते हुए देख रहा था। अचानक उसने अपनी दादी मां से पूंछा,
" दादी मां !" क्या आप मेरी शरारतों के बारे में लिख रही हैं ? आप मेरे बारे में लिख रही हैं, ना "
यह सुनकर उसकी दादी माँ रुकीं और बोलीं , " बेटा मैं लिख तो तुम्हारे बारे में ही रही हूँ, लेकिन जो शब्द मैं यहाँ लिख रही हूँ उनसे भी अधिक महत्व इस पेन्सिल का है जिसे मैं इस्तेमाल कर रही हूँ। मुझे पूरी आशा है कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो ठीक इसी पेन्सिल की तरह होगे। "

यह सुनकर वह बालक थोड़ा चौंका और पेन्सिल की ओर ध्यान से देखने लगा, किन्तु उसे कोई विशेष बात 
नज़र नहीं आयी। वह बोला, " किन्तु मुझे तो यह पेन्सिल बाकी सभी पेन्सिलों की तरह ही दिखाई दे रही है।"
इस पर दादी माँ ने उत्तर दिया,
" बेटा ! यह इस पर निर्भर करता है कि तुम चीज़ों को किस नज़र से देखते हो। इसमें पांच ऐसे गुण हैं, जिन्हें 
यदि तुम अपना लो तो तुम सदा इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो। "

" पहला गुण : तुम्हारे भीतर महान से महान उपलब्धियां प्राप्त करने की योग्यता है, किन्तु तुम्हें यह कभी 
भूलना नहीं चाहिए कि  तुम्हे एक ऐसे हाथ की आवश्यकता है जो निरन्तर तुम्हारा मार्गदर्शन करे। हमारे 
लिए वह हाथ ईश्वर का हाथ है जो सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। "

"दूसरा गुण : बेटा ! लिखते, लिखते, लिखते बीच में मुझे रुकना पड़ता है और फ़िर कटर से पेन्सिल की नोक 
बनानी पड़ती है। इससे पेन्सिल को थोड़ा कष्ट तो होता है, किन्तु बाद में यह काफ़ी तेज़ हो जाती है और अच्छी 
चलती है। इसलिए बेटा ! तुम्हें भी अपने दुखों, अपमान और हार को बर्दाश्त करना आना चाहिए, धैर्य से सहन 
करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से तुम एक बेहतर मनुष्य बन जाओगे।

" तीसरा गुण : बेटा ! पेन्सिल हमेशा गलतियों को सुधारने के लिए रबर का प्रयोग करने की इजाज़त देती है।
इसका यह अर्थ है कि यदि हमसे कोई गलती हो गयी तो उसे सुधारना कोई गलत बात नहीं है। बल्कि ऐसा 
करने से हमें न्यायपूर्वक अपने लक्ष्यों की ओर निर्बाध रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। "

" चौथा गुण : बेटा ! एक पेन्सिल की कार्य प्रणाली में मुख्य भूमिका इसकी बाहरी लकड़ी की नहीं अपितु 
इसके भीतर के 'ग्रेफाईट' की होती है। ग्रेफाईट या लेड की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी,लेख उतना ही सुन्दर होगा। इसलिए बेटा ! तुम्हारे भीतर क्या हो रहा है, कैसे विचार चल रहे हैं, इसके प्रति सदा सजग रहो। "

"अंतिम गुण : बेटा ! पेन्सिल सदा अपना निशान छोड़ देती है। ठीक इसी प्रकार तुम कुछ भी करते हो  तो तुम भी अपना निशान छोड़ देते हो।
अतः सदा ऐसे कर्म करो जिन पर तुम्हें लज्जित न होना पड़े अपितु तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का सिर
गर्व से उठा रहे। अतः अपने प्रत्येक कर्म के प्रति सजग रहो। "

बाज की उड़ान

बाज की उड़ान 

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
 दोस्तों , हममें से बहुत से लोग  उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों  की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर  दिखाइए  क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

तू बहुत क्रूर है।

एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मेँ अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।

छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र
की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक
एक जोरदार तुफान आया।

उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस
हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मेँ कूद गया।

जब तूफान शांत हुआ तब वह
तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोईनही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था।

उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने
पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

उस आदमी को लगा कि भगवान ने
मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा।

धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते
खाकर दिन बिताने लगा। अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया।

उसको लगा कि इस दुनिया मेँ
भगवान है ही नही। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर
ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?

फिर उसने झाड की डालियो और
पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई।

उसने मन ही मन कहा कि आज से
झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा। रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कनेलगी.!

तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।

यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर
बोला तू भगवान नही, राक्षस है।

तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही
तू बहुत क्रूर है।वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था।

कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे
बचाने आये हैं।

दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस
टापू पर मुसीबत मेँ है।

अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते
तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे।

उसने ईश्वर से माफी माँगी और
बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई
थी।

आइसक्रीम

आइसक्रीम

 
एक 9 साल की लड़की आइसक्रीम पार्लर गई..

वेटर : क्या चाहिए ?

लड़की : ये कोन वाली आइसक्रीम कितने की है भैया?

वेटर : 15 रूपये की लड़की ने अपना पॉकेट चेक किया फिर छोटे कोन
वाली आइसक्रीम की कीमत पूछी

वेटर ने गुस्से से कहा :- 12 रूपये की
लड़की ने कहा छोटा वाला कोन दे दीजिये भैया..

वेटर ने एक प्लेट में कोन टेबल पर रख दिया.. लड़की न पैसे दिए और आइसक्रीम खा कर चली गई जब वेटर खली प्लेट लेने गया तो
उसकी आँखों में आंसू आ गए क्यूंकि
उस लड़की ने उसके लिए टिप के रूप में 3 रूपये छोड़ थे......

कहानी का सार ये है: आपके पास जो कुछ भी है उसी से लोगों को खुश रखने की कोशिश कीजिये..!

गर्लफ्रेंड

गर्लफ्रेंड

 
1.पिता कहते है "बेटा पढाई करके कुछ बनो" तो बुरा लगता है,
पर यही बात जब गर्लफ्रेंड कहती है तो लगता है 'केयर'
करती है |

२. गर्लफ्रेंड के लिए माँ-बाप से झूठ बोलते है,पर माँ-बाप के लिए
गर्लफ्रेंड से सच बोलने में भी दस बार सोचना पड़ता है ।

३. गर्लफ्रेंड से शादी के लिए माँ- पिता को छोड़ देते
है, पर माता - पिता केलिए गर्लफ्रेंड को क्यूँ नहीं ?

4. गर्लफ्रेंड से रोज रात में मोबाईल से पूछते है
खाना खाया की नहीं या कितनी रोटी खाई, पर क्या आज तक ये बात
माँ-पिता से पूछी ?

5.गर्लफ्रेंड की एक कसम से सिगरेट छूट जाती है, पर पापा के बार- बार
कहने से क्यूँ नहीं ?

कृपया अपने माँ-बाप की हर बात माने और
उनकी देखभाल करे... और शेयर करके ये सबको बताये
और समझाए,
क्या पता आपकी बात उसके समझ में आ जाये...?

आँखे

आँखे




"18 साल का लड़का ट्रेन में
खिड़की के पास वाली सीट पर
बैठा था...
-
अचानक वो ख़ुशी में जोर से
चिल्लाया "पिताजी" वो देखो, पेड़
पीछे
जा रहा हैं"... .
उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर
हाँथ फिराया...
-
वो लड़का फिर चिल्लाया"
पिताजी वो देखो, आसमान में बादल
भी ट्रेन के
साथ साथ चल रहे हैं"...
.
पिता की आँखों से आंसू निकल गए.
पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था.
उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद
भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर
रहा हैं..
-
आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से
क्यों नहीं दिखाते ??
.
पिता ने कहा की हम लोग डॉक्टर के
पास से
ही आ रहे हैं...
मेरा बेटा जन्म से अँधा था, आज
ही उसको नयी आँखे
मिली है !!


धैर्य

 धैर्य


एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते? हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू किया। लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला। उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला। उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले, पानी नहीं मिला। वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला। उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकरउस स्थान पर आया, जहां उसने दस गड्ढे खोद रखे थे। उनकी गहराई देखकर वह समझ गया। बोला, 'दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते तो पानी कबका मिल गया होता। तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।'
कहने का मतलब यही कि आज की स्थिति यही है। आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है। किसी के पास धैर्य नहीं है। इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है और पूरी एक भी नहींहो पाती।



Thursday, April 10, 2014

सफलता का रहस्य

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया. लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है


Wednesday, April 9, 2014

आइसक्रीम वाला

एक आइसक्रीम वाला रोज एक मोहल्ले में
आइसक्रीम बेचने जाया करता था , उस
कालोनी में सारे पैसे वाले लोग रहा करते
थे . लेकिन वह एक परिवार
ऐसा भी था जो आर्थिक तंगी से गुजर
रहा था. उनका एक चार साल
का बेटा था जो हर दिन खिड़की से उस
आइसक्रीम वाले को ललचाई नजरो से
देखा करता था. आइसक्रीम
वाला भी उसे पहचानने लगा था . लेकिन
कभी वो लड़का घर से बाहर
नहीं आया आइसक्रीम खाने .
एक दिन उस आइसक्रीम वाले का मन
नहीं माना तो वो खिड़की के पास
जाकर उस बच्चे से बोला ,
" बेटा क्या आपको आइसक्रीम
अच्छी नहीं लगती. आप
कभी मेरी आइसक्रीम नहीं खरीदते ? "
उस चार साल के बच्चे ने बड़ी मासूमियत
के साथ कहा ,
" मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद हे . पर माँ के
पास पैसे नहीं हे "
उस आइसक्रीम वाले को यह सूनकर उस
बच्चे पर बड़ा प्यार आया . उसने कहा ,
" बेटा तुम मुझसे रोज आइसक्रीम ले
लिया करो. मुझसे तुमसे पैसे नहीं चाहिए
"
वो बच्चा बहुत समझदार निकला . बहुत
सहज भाव से बोला ,
" नहीं ले सकता , माँ ने कहा हे किसी से
मुफ्त में कुछ लेना गन्दी बात होती हे ,
इसलिए में कुछ दिए बिना आइसक्रीम
नहीं ले सकता "
वो आइसक्रीम वाला बच्चे के मुह से
इतनी गहरी बात सूनकर आश्चर्यचकित रह
गया . फिर उसने कहा ,
" तुम मुझे आइसक्रीम के बदले में रोज एक
पप्पी दे दिया करो . इस तरह मुझे
आइसक्रीम की कीमत मिल
जाया करेगी "
बच्चा ये सुकर बहुत खुश हुआ वो दौड़कर घर
से बाहर आया . आइसक्रीम वाले ने उसे
एक आइसक्रीम दी और बदले में उस बच्चे ने
उस आइसक्रीम वाले के गालो पर एक
पप्पी दी और खुश होकर घर के अन्दर भाग
गया .
अब तो रोज
का यही सिलसिला हो गया.
वो आइसक्रीम वाला रोज आता और एक
पप्पी के बदले उस बच्चे को आइसक्रीम दे
जाता .
करीब एक महीने तक यही चलता रहा .
लेकिन उसके बाद उस बच्चे ने अचानक से
आना बंद कर दिया . अब वो खिड़की पर
भी नजर नहीं आता था .
जब कुछ दिन हो गए तो आइसक्रीम वाले
का मन नहीं मन और वो उस घर पर पहुच
गया . दरवाजा उस बालक की माँ ने
खोला . आइसक्रीम वाले ने उत्सुकता से
उस बच्चे के बारे में पूछा तो उसकी माँ ने
कहा ,
" देखिये भाई साहब हम गरीब लोग हे .
हमारे पास इतना पैसा नहीं के अपने बच्चे
को रोज आइसक्रीम खिला सके . आप
उसे रोज मुफ्त में आइसक्रीम खिलाते रहे.
जिस दिन मुझे ये बात पता चली तो मुझे
बहुत शर्मिंदगी हुई .आप एक अच्छे इंसान हे
लेकिन में अपने बेटे को मुफ्त में आइसक्रीम
खाने नहीं दे सकती . "
बच्चे की माँ की बाते सूनकर उस
आइसक्रीम वाले ने जो उत्तर
दिया वो आप सब के लिए सोचने
का कारण बन सकता हे ,
" बहनजी , कौन कहता हे की में उसे मुफ्त में
आइसक्रीम खिलाता था . में
इतना दयालु या उपकार करने
वाला नहीं हु में व्यापार करता हु . और
आपके बेटे से जो मुझे मिला वो उस
आइसक्रीम की कीमत से कही अधिक
मूल्यवान था . और कम मूल्य की वास्तु
का अधिक मूल्य वसूल करना ही व्यापार
हे ,
एक बच्चे का निश्छल प्रेम पा लेना सोने
चांदी के सिक्के पा लेने से कही अधिक
मूल्यवान हे . आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे
संस्कार दिए हे लेकिन में आपसे पूछता हु
क्या प्रेम का कोई मूल्य नहीं होता ?"
उस आइसक्रीम वाले के अर्थपूर्ण शब्द
सूनकर बालक की माँ की आँखे भीग
गयी उन्होंने बालक
को पुकारा तो वो दौड़कर आ गया .
माँ का इशारा पाते ही बालक दौड़कर
आइसक्रीम वाले से लिपट गया .
आइसक्रीम वाले ने बालक को गोद में
उठा लिया और बाहर जाते हुए कहने
लगा ,
" तुम्हारे लिए आज चोकलेट आइसक्रीम
लाया हु . तुझे बहुत पसंद हे न ?"
बच्चा उत्साह से बोला ,
" हां बहुत "
बालक की माँ ख़ुशी से रो पड़ती है....


एक बेरोजगार आदमी

एक बेरोजगार आदमी, जिसका नाम प्रतीक था. एक बड़ी company में चपरासी की post के लिए interview देने गया..

उससे कुछ सवाल पूछे गए. और फिर एक practical test लिया गया की, “जाकर चाय लेकर आओ.”

वो test में भी पास हो गया.

उसे उसका email देने के लिए कहा गया. पर उसने जवाब दिया “मेरे पास computer नहीं है. और न ही email है.”

“माफ़ करो.” उस employer ने कहा “अगर तुम्हारे पास email नहीं है. इसका मतलब है तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नहीं है. इतनी बड़ी कम्पनी में email के बिना तुम काम नहीं कर सकते. तुम्हे नौकरी नहीं दी जा सकती.”

प्रतीक बहुत निराश हो गया. उसके जेब में केवल 500 रुपये बचे थे.

वो हार नहीं मान सकता था. इसलिए वो दूसरे दिन सुबह सुबह मंडी गया. और वहां से 500 रुपये के टमाटर ख़रीद लाया. पूरा दिन उसने घर घर जाकर टमाटर बेचे. और 300 रुपये का मुनाफ़ा हुआ.

वो हर दिन यही करने लगा. जल्द ही उसने दुसरे काम भी शुरू कर दिए, उसका बहुत मुनाफ़ा होने लगा . एक दूकान ख़रीदी. एक truck ख़रीद लिया. और केवल 5 सालो में प्रतीक की compnay देश की सबसे बड़ी food retailer companies में से एक बन गयी. उसने अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करने के बारे में सोचा. और एक life insurance भी करवा लिया.

फिर एक दिन एक पत्रकार उसका interview लेने आया. उसने उससे कई सवाल पूछे. और घंटो बातें की.

और आखिर में पत्रकार ने उससे उसका email माँगा.

प्रतीक ने जवाब दिया, “मेरे पास email नहीं है.”

पत्रकार बड़ा हैरान हुआ. उसने प्रतीक से कहा, “क्या आप जानते है की email कितनी ज़रूरी चीज़ है. आप आज इतने सफल है. आप सोच सकते है यदि आपके पास email होता तो आप क्या कर रहे होते, कितने अधिक सफल होते?”

प्रतीक ने कुछ देर सोचा फिर जवाब दिया, “अगर मेरे पास email होता तो मैं एक company में चपरासी की नौकरी कर रहा होता.”

इतना तो हम सभी जानते और मानते की हर किसी के पास सारे साधन resources नहीं हो सकते. पर हमारे पास जितना है उससे हम कितना कुछ कर पाते है सफ़लता के असल मायने इसी में है.

 

 

 

संसार की रीति

एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था।
चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को, जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की रीति समझ गया ।
"कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान , लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है!

अंतिम संस्कार

ॐ असतो मा सद्गमय । तमसो मा ज्योतिर्गमय । मृत्योर्मा अमृतं गमय । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

एक डॉक्टर बड़ी ही तेजी से हॉस्पिटल में घुसा , उसे किसी एक्सीडेंट के मामले में तुरंत बुलाया गया था। अंदर घुसते ही उसने देखा कि जिस लड़के का एक्सीडेंट हुआ है उसके परिजन बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे हैं।

डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता बोला , ” आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से क्यों नहीं करते , आपने आने में इतनी देर क्यों लगा दी ….अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे …”

डॉक्टर ने विनम्रता कहा , ” आई ऍम सॉरी , मैं हॉस्पिटल में नहीं था , और कॉल आने के बाद जितना तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ। कृपया अब आप लोग शांत हो जाइये ताकि मैं इलाज कर सकूँ….”

“शांत हो जाइये !!!” , लड़के का पिता गुस्से में बोला , ” क्या इस समय अगर आपका बेटा होता तो आप शांत रहते ? अगर किसी की लापरवाही की वजह से आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे ?” ; पिता बोले ही जा रहा था।

” भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा , आप लोग दुआ कीजिये मैं इलाज के लिए जा रहा हूँ। ” , और ऐसा कहते हुए डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया।

बाहर लड़के का पिता अभी भी बुदबुदा रहा था , ” सलाह देना आसान होता है , जिस पर बीतती है वही जानता है…”

करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला , ” भगवान् का शुक्र है आपका बेटा अब खतरे से बाहर है। “

यह सुनते ही लड़के के परिजन खुश हो गए और डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे , ” वो कब तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगा…… उसे डिस्चार्ज कब करेंगे….?…”

पर डॉक्टर जिस तेजी से आया था उसी तेजी से वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा।

” ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है , ऐसी क्या जल्दी है कि वो दो मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता ?” लड़के के पिता ने नर्स से कहा।

नर्स लगभग रुंआसी होती हुई बोली , ” आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की एक भयानक एक्सीडेंट में मौत हो गयी , और जब हमने उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका अंतिम संस्कार करने जा रहे थे। और बेचारे अब आपके बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे हैं। “

यह सुन लड़के के परिजन और पिता स्तब्ध रह गए और उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हो गया।

फ्रेंड्स, बहुत बार हम किसी सिचुएशन के बारे में अच्छी तरह जाने बिना ही उसपर रियेक्ट कर देते हैं। पर हमें चाहिए कि हम खुद पर नियंत्रण रखें और पूरी स्थिति को समझे बिना कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें। वर्ना अनजाने में हम उसे ही ठेस पहुंचा सकते हैं जो हमारा ही भला सोच रहा हो।

Featured Post

प्रेरणादायक अनमोल वचन

जब आप कुछ गँवा बैठते है ,तो उससे प्राप्त शिक्षा को ना गवाएं बल्कि उसके द्वारा प्राप्त शिक्षा का भविष्य में इस्तेमाल करें | – दलाई लामा ज...