Friday, October 30, 2020

राव सीहा जी

 


राव सीहा जी राजस्थान में स्वतंत्र राठौड़ राज्य के संस्थापक थे | राव सीहा जी के वीर वंशज अपने शौर्य, वीरता एवं पराक्रम व तलवार के धनी रहे है |मारवाड़ में राव सीहा जी द्वारा राठौड़ साम्राज्य का विस्तार करने में उनके वंशजो में राव धुहड़ जी , राजपाल जी , जालन सिंह जी ,राव छाडा जी , राव तीड़ा जी , खीम करण जी ,राव वीरम दे , राव चुडा जी , राव रिदमल जी , राव जोधा , बीका , बीदा, दूदा , कानध्ल , मालदेव का विशेष क्रमबद्ध योगदान रहा है |

 इनके वंशजों में दुर्गादास व अमर सिंह जैसे इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति हुए| राव सिहा सेतराम जी के आठ पुत्रों में सबसे बड़े थे| !

चेतराम सम्राट के, पुत्र अस्ट महावीर !
जिसमे सिहों जेस्ठ सूत , महारथी रणधीर ||
राव सिहाँ जी सं. 1268 के लगभग पुष्कर की तीर्थ यात्रा के समय मारवाड़ आये थे उस मारवाड़ की जनता मीणों, मेरों आदि की लूटपाट से पीड़ित थी , राव सिहा के आगमन की सूचना पर पाली नगर के पालीवाल ब्राहमण अपने मुखिया जसोधर के साथ सिहा जी मिलकर पाली नगर को लूटपाट व अत्याचारों से मुक्त करने की प्रार्थना की| अपनी तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद राव सिहा जी ने भाइयों व फलोदी के जगमाल की सहायता से पाली में हो रहे अत्याचारों पर काबू पा लिया एवं वहां शांति व शासन व्यवस्था कायम की, जिससे पाली नगर की व्यापारिक उन्नति होने लगी|

आठों में सिहाँ बड़ा ,देव गरुड़ है साथ |
बनकर छोडिया कन्नोज में ,पाली मारा हाथ ||

पाली के अलावा भीनमाल के शासक के अत्याचारों की जनता की शिकायत पर जनता को अत्याचारों से मुक्त कराया |

भीनमाल लिधी भडे,सिहे साल बजाय|
दत दीन्हो सत सग्रहियो, ओ जस कठे न जाय||

पाली व भीनमाल में राठौड़ राज्य स्थापित करने के बाद सिहा जी ने खेड़ पर आक्रमण कर विजय कर लिया| इसी दौरान शाही सेना ने अचानक पाली पर हमला कर लूटपाट शुरू करदी ,हमले की सूचना मिलते ही सिहा जी पाली से 18 KM दूर बिठू गावं में शाही सेना के खिलाफ आ डटे, और मुस्लिम सेना को खधेड दिया| वि. सं . 1330 कार्तिक कृष्ण दवादशी सोमवार को करीब 80 वर्ष की उमर में सिहा जी स्वर्गवास हुआ व उनकी सोलंकी रानी पार्वती इनके साथ सती हुई | 

सिहाजी की रानी (पाटन के शासक जय सिंह सोलंकी की पुत्री )से बड़े पुत्र आस्थान जी हुए जो पिता के बाद मारवाड़ के शासक बने | 

राव सिहं जी राजस्थान में राठौड़ राज्य की नीवं डालने वाले पहले व्यक्ति थे |

राठौड़ राजवंश के गोत्र प्रवर निशान

 


राजपूतो के छतीस राजवंशो में से श्रेष्ठ कुल सूर्य वंशी राठौड़ माना गया ह। अपनी श्रेष्ठता हमेशा सिद्ध की ह।इसी कारण इन्हें रण बंका कहा गया ह।

"'ब्रज्देसा चन्दन बड़ा मरु पहाडा मोड़।
गरुड खंडा लंका गढ़ा राजकुला राठोड।।
बल हट बंका देवड़ा करतब बंका गोड।
हाडा बांका गाढ़ में तो रण बंका राठोड।।
राठोड़ो के गोत्र आदि इस प्रकार ह:

(1) गोत्र --गोतम
(2)नदी--सरयू
(3)कुंड--सूर्य
(4)स्थान--अयोध्या पालगढ़ कन्नोज जोधपुर बीकानेर
(5)कुलदेवी--सतयुग में अभ्यन्न्दा त्रेता में भुन्न्दा व् राठेस्व्री द्वापर में पनख्नेच्या कलियुग में नागनेच्या व् करणी माता
(6)गुरु--वशिस्ठ व् गोतम
(7)शाखा--म्ध्यन्दिनी दानेसुरा
(8)पुरोहित--षोहड (सेवड)
(9)वेद--यजुर्वेद
(10)घोडा--दलसिंगार(सावक रण)
(11)तलवार--रणथली
(12)माला--रत्न की
(13)प्रवर--अंगीरा मोनक समाद
(14)वंश--सूर्य के दस वंशो में राठोड वंश
(15)धरम --सनातन
(16)गाय--कपिला
(17)नगारो --रणजीत
(18)निशान--पंचरंगा
(19)ढोल--भँवर
(20)ढोली--देधडा
(21)भाट--सिंगोलिया
(22)बारठ--रोहडिया
(23)बिरद--रण बंका राठोड
(24)उपाधि--कम्ध्व्ज भूरा राठोड
(25)भेरु--मंडोवर नाथ व् कोडमदेसर
(26)निकास--अयोध्धा पाल गढ़ कनोज जोधपुर
(27)चिन्ह--चील
(28)ईस्ट --सीता राम
(29)प्रणाम जय माताजी जय रघुनाथजी जय चारभुजा
(30)तिलक--रामानुज
(31)वर्क्ष--नीम
(32)गदी--आयोध्धा पाल गढ़ कनोज जोधपुर
(33)कुलदेव---पाबूजी राठोड
(34)झंडा--केसरिया कसूमल
(35)मन्त्र गोपाल
(36)खाडा जगजीत
(37)बंधेज--बांया
(38)तीर्थ--काशी
(39)राव--बडवा
(40)सूत्र--गोभिल
(41)किला--चिन्तामण
(42)भाखर--गंगेद
इस कुल ने बार बार ऐसे शूरवीरो को जन्म दिया ह। जिन्होंने अपनी वीरता त्याग बलिदान तथा अपने वचनों की खातिर अपने प्राण न्योछावर कर इस कुल का मान बढ़ाया ह। जो आज भि भोमिया;जुझार्जी;लोकदेवता;तथा अनेक रूपों में पूजे जाते ह। पाबूजी महाराज के बाद ओंम बन्ना जी इसका ताजा प्रमाण ह

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