Sunday, October 10, 2021

What Is Ramsar Sites In Hindi ? / रामसर स्थल क्या है ?

What Is Ramsar Sites In Hindi ? / रामसर स्थल क्या है ? -:
रामसर समझौता ( Ramsar Convention ) वेटलैंड्स के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी 1971 को इस अंतर्राष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए। इसलिए इसे रामसर अभिसमय / रामसर समझौता के नाम से जाना जाता है। यह समझौता 21 दिसंबर 1975 से प्रभाव में आया। प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस ( World Wetlands Day ) मनाया जाता है। विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 1997 में मनाया गया था।

रामसर स्थलों की सूची का उद्देश्य आर्द्र भूमि के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना है। जो वैश्विक जैव विविधता के संरक्षण और उनके पारिस्थितिक तंत्र घटकों व प्रक्रियाओं के रखरखाव एवं लाभों के माध्यम से मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

आर्द्रभूमि क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है। यह मानव समाज के लिए कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है जैसे सिंचाई के लिए पानी, मत्स्य पालन, गैर-इमारती लकड़ी के उत्पाद, पानी की आपूर्ति और जैव विविधता रखरखाव आदि। आर्द्रभूमि क्षेत्र पानी को अवशोषित करके बाढ़ के प्रभाव को भी कम करता है। यह पानी के प्रवाह की गति को कम करता है।

आर्द्र भूमि क्षेत्र (Wetland) एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां जमीन पानी से ढकी होती है। तालाब, झील, नदी का डेल्टा, दलदली भूमि और समुद्र का किनारा आदि जगहों को आर्द्र भूमि क्षेत्र कहते है।


 
रामसर सम्मेलन के अनुसार आर्द्र भूमि क्षेत्र / वेटलैंड्स हैं –: “दलदल,पंकभूमि, पीट भूमि या पानी के क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक या कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, पानी के साथ चाहे स्थैतिक हो या बहता हो, ताजा, खारा या नमकीन हो, इसमें समुद्री पानी के क्षेत्र भी शामिल हैं, जिसमें कम ज्वार पर गहराई 6 मीटर से अधिक नहीं हो।”

भारत में वेटलैंड्स को स्थलाकृतिक भिन्नता के आधार पर निम्नलिखित 4 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।

हिमालयी आर्द्रभूमि
गंगा के मैदान में आर्द्रभूमि
रेगिस्तान में आर्द्रभूमि
तटीय आर्द्रभूमि
भारत में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम लागू किया गया था।

List of 46 Ramsar Sites in India in Hindi 2021, भारत में रामसर स्थल की सूची 2021 -:
क्र. भारत में रामसर स्थल की सूची राज्य/केंद्रशासित प्रदेश वर्ष
1. चिल्का झील ओडिशा 1981
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान 1981
3. लोकटक झील मणिपुर 1990
4. वुलर झील जम्मू-कश्मीर 1990
5. हरिके झील पंजाब 1990
6. सांभर झील राजस्थान 1990
7. कंजली झील पंजाब 2002
8. रोपड़ वेटलैंड पंजाब 2002
9. कोलेरु झील आंध्र प्रदेश 2002
10. दीपोर बील असम 2002
11. पोंग बांध झील हिमाचल प्रदेश 2002
12. त्सो मोरीरी झील लद्दाख 2002
13. अष्टमुडी झील केरल 2002
14. सस्थमकोट्टा झील केरल 2002
15. वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि केरल 2002
16. भोज वेटलैंड मध्य प्रदेश 2002
17. भितरकनिका मैंग्रोव ओडिशा 2002
18. प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु 2002
19. पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि पश्चिम बंगाल 2002
20. चंदेरटल वेटलैंड हिमाचल प्रदेश 2005
21. रेणुका वेटलैंड हिमाचल प्रदेश 2005
22. होकेरा वेटलैंड / होकेर्सर वेटलैंड जम्मू और कश्मीर 2005
23. सुरिंसर और मानसर झील जम्मू और कश्मीर 2005
24. रुद्रसागर झील त्रिपुरा 2005
25. ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव) उत्तर प्रदेश 2005
26. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य गुजरात 2012
27. सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र पश्चिम बंगाल 2019
28. नंदुर मध्यमेश्वर महाराष्ट्र 2019
29. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
30. केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व पंजाब 2019
31. व्यास संरक्षण रिजर्व पंजाब 2019
32. नांगल वन्यजीव अभयारण्य पंजाब 2019
33. साण्डी पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
34. समसपुर पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
35. समन पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
36. पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
37. सरसई नावर झील उत्तर प्रदेश 2019
38. आसन कंजर्वेशन रिजर्व उत्तराखंड 2020
39. काबर ताल बिहार 2020
40. लोनार झील महाराष्ट्र 2020
41. सुर सरोवर झील / कीथम झील उत्तर प्रदेश 2020
42. त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र लद्दाख 2020
43. सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान हरियाणा 2021
44. भिड़ावास वन्यजीव अभ्यारण्य हरियाणा 2021
45. थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्य गुजरात 2021
46. वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्र गुजरात 2021
Question Answer related with Ramsar Sites In India List In Hindi -:
प्रश्न : वर्तमान में भारत में रामसर साइट कितनी है ?

उत्तर : वर्तमान में भारत में 46 रामसर साइट्स हैं।

प्रश्न : रामसर सम्मेलन कब हुआ था ?

उत्तर : रामसर सम्मेलन ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी 1971 को आयोजित किया गया था।

प्रश्न : विश्व आर्द्रभूमि दिवस कब मनाया जाता है ?

उत्तर : 2 फरवरी

प्रश्न : भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल कौन सा है ?

उत्तर : पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन वेटलैंड भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल है। यह लगभग 4230 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

प्रश्न : भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल कौन सा है ?

उत्तर : हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका वेटलैंड क्षेत्र भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल है। यह लगभग 0.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

प्रश्न : भारत में सबसे ज्यादा रामसर स्थल किस राज्य में स्थित हैं ?


 
उत्तर : भारत में सबसे ज्यादा 8 रामसर स्थल उत्तर प्रदेश राज्य में है।

प्रश्न : विश्व में कुल कितने रामसर स्थल हैं ?

उत्तर : विश्व में लगभग 2400 रामसर स्थल घोषित किए जा चुके हैं।

प्रश्न : भारत की पहली रामसर साइट कौन सी है ?

उत्तर : अक्टूबर 1981 में भारत के दो स्थलों को सबसे पहले रामसर स्थल घोषित किया गया था। – ओड़िशा में स्थित चिलिका झील और राजस्थान में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान।

प्रश्न : विश्व का पहला रामसर स्थल किसे घोषित किया गया था ?

उत्तर : विश्व का पहला रामसर स्थल 1974 में ऑस्ट्रेलिया में स्थित कोबोर प्रायद्वीप को घोषित किया गया था।

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Sunday, September 5, 2021

अष्टावक्र

 अष्टावक्र का अर्थ है, आठ जगहों से मुड़ा हुआ। अष्ठावक्र नाम का एक ऋषि थे, जिनका शरीर आठ जगहों से मुड़ा हुआ था। वे अष्ठावक्र गीता के लिए जाने जाते है। इनके शरीर के इस अवस्था के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है।

उद्दालक नाम का एक ऋषि था और उसका एक प्रिय शिष्य था कहोद । उद्दालक ने अपने अपने प्रिय शिष्य कहोद की शादी अपनी बेटी सुजाता के साथ कर दिया। कुछ महीनों बाद सुजाता गर्भवती हो गई। एक दिन ऋषि कहोद शास्त्र का पठन कर रहे थे और उनसे पठन में गलती हो गई। तो गर्भ से उनके बेटे ने उन्हें टोक दिया कि वे शास्त्र का गलत पाठ कर रहे है। इस बात से गुस्सा होकर ऋषि कहोद ने अपने ही बेटे को इस अपमान के लिए श्राप दे दिया कि वो विकंलाग के रुप में जन्म लेगा और वो आठ जगहों से उसका शरीर टेड़ा होगा।

कुछ दिनों बाद ऋषि कहोद शास्त्र के लिए राजा जनक के दरबार में गए, जहां उन्हें ऋषि बंदी को शास्त्रार्थ में हराना था। जो व्यक्ति ऋषि बंदी से हार जाता था,उन्हें दंड स्वरूप पानी में डुबा दिया जाता था। यहीं हाल ऋषि कहोद का हुआ। वे हार गए और पानी में डुबो दिए गए।

इधर कहोद का बेटा , सुजाता के गर्भ से जन्म लिया। चुंकि श्राप के कारण उसका शरीर आठ जगहों से टेड़ा पैदा हुआ तो उन्हें अष्टावक्र का नाम मिला। बारह साल तक अष्टावक्र ने अपने नाना उद्दालक से शिक्षा ली। तब उन्हें अपने पिता और ऋषि बंदी के बारे में पता चला। उन्होंने इसका बदला लेने के लिए ऋषि बंदी से शास्त्रार्थ करने का निश्चय किया,और वे राजा जनक के दरबार में चले गए।

अष्टावक्र का कुरूप स्वरूप देखकर महल के सैनिक उस पर हंसने लगे। इस पर अष्टावक्र ने जवाब दिया कि इंसान की पहचान उसकी उम्र या रूप से नहीं बल्कि उसकी बुद्धि से होती है। बहुत कम ही समय में अष्टावक्र ने ऋषि बंदी को शास्त्रार्थ में हरा दिया। अब शर्त के अनुसार ऋषि बंदी को पानी में डुबाया जाना था। इस पर ऋषि बंधी अपने असली स्वरूप में आए और कहा कि ‘मैं वरुण देव का पुत्र हूं। मुझे मेरे पिता ने धरती पर मौजूद उच्च संतों को भेजने के लिए कहा था ताकि वह एक यज्ञ पूरा कर पाएं। अब जब मेरे पिता का यज्ञ संपन्न हो चुका है तब जितने भी ऋषियों को उन्होंने पानी में डुबोया था वे नदी के बांध से वापस आ जाएंगे’।

ऋषि कहोद वापस आए और उन्होंने अपने बेटे अष्टावक्र को श्राप से मुक्त किया। अष्टावक्र को विकंलागता से मुक्ति मिल गई।

अष्टावक्र गीता में अष्टावक्र और राजा जनक के बीच का संवाद है, जो हमें जीने की कला सिखाती है। इस किताब को रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद को पढ़ने को दिया था।

Sunday, August 22, 2021

इस कंडोंम का नाम डिपर रखने के पीछे एक मनोरंजन कहानी

टाटा भारत में ट्रकों का सबसे बड़ा निर्माता है।


भारत के सबसे बड़े ट्रक निर्माता टाटा मोटर्स ने डिपर नाम का एक कंडोम बनाया। इसका मकसद ट्रक ड्राइवरों में सुरक्षित सेक्स को बढ़ावा देना था। ट्रक ड्राइवरों को एचआईवी-एड्स होने की आशंका ज्यादा होती है। टाटा ने ये कंडोम टीसीआई फाउंडेशन के संग मिलकर बनाया है। इस कंडोम को कितनी सफलता मिलेगी ये वक्त बताएगा लेकिन इस कंडोंम का नाम डिपर रखने के पीछे एक मनोरंजन कहानी है।


ट्रक ड्राइवरों के लिए डिपर नाम का कंडोम बनाने का ख्याल सबसे पहले भारत सरकार के नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) को आया था। नाको यौनकर्मियों के लिए भी “वो” नाम से कंडोम बनाना चाहता था। लेकिन वो अपनी योजना में सफल नहीं हो सका।

साल 2005 में जब एचआईवी मरीजों की संख्या काफी बढ़ने लगी तो नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) ने दो समूहों को महसूस हुआ कि जिन दो समूहों को एड्स होने की सर्वाधिक आंशका होती है उन्हें असुरक्षित सेक्स और कंडोम के इस्तेमाल के बारे में जागरूक बनाए बिना इससे पीड़ितों की संख्या में कमी लाना संभव नहीं है। ये समूह हैं- ट्रक ड्राइवर और पेशेवर यौनकर्मी।


भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी उस समय नाको के प्रमुख थे। कुरैशी याद करते हैं, “ये तय किया गया कि इन दोनों समूहों को कंडोम के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए। नाको पहले ही जनता को मुफ्त में कंडोम बांटता रहा है। आपको निरोध की याद होगी? लेकिन हमें लगा कि इन दोनों समूहों को लिए हमें एक नया ब्रांड लेकर आएं। एक बैठक में संभावित नामों पर चर्चा के दौरान सुझाव आया कि ट्रक ड्राइवरों के लिए डिपर नाम सही रहेगा। आपने देखा होगा कि आपने सभी व्यावसायिक वाहनों पर “यूज डिपर एट नाइट” लिखा देखा होगा। जो मूलतः मद्धिम लाइट के लिए लिखा रहता है।”


कुरैशी ने बताया, “हमें लगा कि इस नाम के साथ हमें चालीस लाख ट्रकों के माध्यम से इसका मुफ्त में विज्ञापन हो जाएगा। हमारा मकसद ड्राइवरों को शिक्षित करना था….कि जिस तरह रात में सुरक्षित गाड़ी चलाने के लिए डिपर का प्रयोग किया जाता है, उसी तरह डिपर कंडोम के प्रयोग से वो खुद को और अपनी बीवियों को इस घातक बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।”


इस नए कंडोम के प्रचार के लिए जुमला गढ़ा गया, “दिन हो या रात, डिपर रहे साथ।” डिपर के अलावा संस्था ने “हार्न प्लीज” और “ओके टाटा” नामों पर भी विचार किया था। इन नामों के पीछे भी वही वजह थी, इनका लगभग हर ट्रक के पीछे लिखा होना।


यौनकर्मियों के लिए बनाए गए विशेष कंडोम का नाम “वो” रखा गया। ये नाम चर्चित हिंदी फिल्म, “पति, पत्नी और वो” से लिया गया है। लेकिन ये “वो” फिल्म की तरह खलनायक नहीं बल्कि दोस्त है, जो पति-पत्नी को एड्स से बचाता है।


कुरैशी बताते हैं, “ये नाम रखने के पीछे एक वजह ये भी थी कि लोगों को कंडोम मांगने में झिझक होती है, इसलि इसे “वो’ नाम दिया गया।” नाको ने जीवन बीमा निगम और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से इस कैंपेन के लिए समझौता किया है।


सरकार के हिंदुस्तान लैटेक्स लिमिटेड (एचएलएल) इसका उत्पादन भी शुरू कर दिया। लेकिन मामला शुरू होते ही खटाई में पड़ गया। एक निजी निर्माता को इन दोनों नामों की भनक लग गई। उसने पहले ही दोनों नामों को पंजीकृत करा लिया और उनका पेटेंट ले लिया। कुरैशी बताते हैं, “वो कंपनी दोनों ब्रांड नामों के बदले हमसे पैसा लेना चाहती थी। हम पैसा नहीं दे सकते थे इसलिए हमने वो योजना रद्द कर दी।”


टाटा द्वारा “डिपर” को लॉन्च करने पर कुरैशी कहते हैं, “मैं बहुत खुश हूं कि टाटा मोटर्स ने कंडोम का नाम डिपर रखकर एक स्मार्ट काम किया है। जिस काम में हम एक धूर्त कंपनी द्वारा पैदा किए गए कानूनी पचड़ों की वजह से विफल रहे वो सफल हो गए।”

इसलिए जब भी आप रास्ते में चलते ट्रक को देखें जिसके पीछे लिखा हो use dipper at night तो जरूर टाटा समूह और सरकार की इस अनोखी और बेहतरीन पहल को याद कीजिएगा।।

Monday, July 26, 2021

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?

 दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
जान तुम पर निसार करता हूँ
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?

Dil-e-nadan Tujhe Hua Kya

यह न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता. - मिर्ज़ा ग़ालिब

  ग़ज़ल

     यह न थी हमारी क़िस्मत
कि विसाल ए यार होता,
     अगर और जीते रहते
यही इंतज़ार होता.

     तेरे वादे पर जिए हम
तो यह जान झूठ जाना,
     कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर ऐतबार होता.

     कोई मेरे दिल से पूछे
तेरे तीर ए नीम कश को,
     ये ख़लिश कहां से होती
जो जिगर के पार होता.

     तेरी नाज़ुकी से जाना कि
बंधा था अहद ए बोदा,
     कभी तू ना तोड़ सकता
अगर उस्तवार होता.

     यह कहां की दोस्ती है
कि बने है दोस्त नास़ेह़,
     कोई चारासाज़ होता
कोई ग़म गुसार होता.

     रग ए संग से टपकता वह लहू
कि फिर न थमता,
     जिसे ग़म समझ रहे हो
यह अगर शरार होता.

     हुए मर के जो रुसवा
हुए क्यूं न ग़र्क़ ए दरिया,
     न कभी जनाज़ा उठता
न कहीं मज़ार होता.

     उसे कौन देख सकता कि
यगाना है वह यकता,
     जो दुई की बू भी होती
तो कहीं दो चार होता.

     ग़म अगरचे जां गुसिल है
पे कहां बचें कि दिल है,
     ग़म ए इश्क़ गर ना होता
ग़म ए रोज़गार होता.

     कहूं किस से मैं कि क्या है
शब ए ग़म बुरी बला है,
     मुझे क्या बुरा था मरना
अगर एक बार होता.

     यह मसाइल ए तस़उफ़
यह तेरा बयान ग़ालिब,
     तुझे हम वली समझते
जो न बादा ख़्वार होता.

       —मिर्ज़ा ग़ालिब
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मुश्किल अल्फ़ाज़:
     ☆ विसाल --- मिलन.

     ☆ ऐतबार --- भरोसा.
     ☆ नीम --- आधा, अधूरा.
     ☆ कश --- खींचा, खिंचा हुआ.
     ☆ नीमकश --- आधा खिंचा हुआ.
     ☆ ख़लिश --- चुभन, जलन.
     ☆ नाज़ुकी --- कमज़ोरी, कोमलता.
     ☆ अहद --- क़सम, वादा, प्रतिज्ञा.
     ☆ बोदा --- खोखला.
     ☆ उस्तवार --- पक्का, मज़बूत.
     ☆ नास़ेह़ --- नसीहत/ज्ञान देने वाला.
     ☆ चारासाज़ --- ह़कीम, राह दिखाने वाला.
     ☆ ग़म गुसार --- हमदर्द.
     ☆ रगे संग --- पत्थर की नस, पत्थर पर बारीक निशान.
     ☆ शरार --- चिंगारी, अंगारा.
     ☆ ग़र्क़ --- डूबना.
     ☆ यगाना --- अकेला, एक.
     ☆ यकता --- बेमिसाल.
     ☆ दुई --- दो, जोड़ा.
     ☆ दो चार --- आमना सामना.
     ☆ जां गुसिल --- जान लेवा.
     ☆ शब --- रात.
     ☆ मसाइल --- मसला, मामला, समस्या.
     ☆ तसउफ़ --- अध्यात्म, रूहानी.
     ☆ बयान --- तक़रीर, व्याख्या.
     ☆ वली --- विद्वान, पीर.
     ☆ बादा ख़्वार --- शराब ख़ोर.

कोई उम्मीद बर नहीं आती ! कोई सूरत नज़र नहीं आती !! -मिर्ज़ा ग़ालिब

 कोई उम्मीद बर नहीं आती !
कोई सूरत नज़र नहीं आती !!

मौत का एक दिन मुअय्यन है !
नींद क्यों रात भर नहीं आती !!

आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हसी !
अब किसी बात पर नहीं आती !!

जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद !
पर तबियत इधर नहीं आती !!

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ !
वरना क्या बात कर नहीं आती ?

क्यों न चीखू कि याद करते है !
मेरी आवाज़ गर नहीं आती !!

दाग़-ए-दिल गर नज़र नहीं आता !
बू भी ऐ चारागर नहीं आती !!

हम वहा है जहाँ से हमको भी !
कुछ हमारी खबर नहीं आती !!

मरते है आरजू में मरने की !
मौत आती है पर नहीं आती !!

काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब !
शर्म तुमको मगर नहीं आती ! - मिर्ज़ा ग़ालिब

मायने
मुअय्यन = नियत, सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद = संयम तथा उपासना, चारागर = चिकित्सक

Sunday, March 14, 2021

काग दही पर जान गँवायो

जो हमारे दिमाग में चल रहा होता है,जैसी अच्छी बुरी भावना उस वस्तु या व्यक्ति विशेष के प्रति रखते हैं,उसी दृष्टि से हम आस पास का आकलन करते हैं और अपनी बात को सबके सामने रखते हैं।

जो जैसा देखना चाहता है,पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर देखता है।निम्नलिखित कहानी से स्पष्ट हो जाएगाः

एक बार एक कवि हलवाई की दुकान पहुंचे,जलेबी और दही ली और वहीं खाने बैठ गये। इतने में एक कौआ कहीं से आया और दही की परात में चोंच मारकर उड़ चला। हलवाई को बड़ा गुस्सा आया उसने पत्थर उठाया और कौए को दे मारा। कौए की किस्मत ख़राब,पत्थर सीधे उसे लगा और वो मर गया।

- ये घटना देख कवि हृदय जगा।वो जलेबी खाने के बाद पानी पीने पहुंचे तो उन्होने एक कोयले के टुकड़े से वहां एक पंक्ति लिख दी।

"काग दही पर जान गँवायो"

दही में चोंच मारने के कारण कौए को अपनी जान गंवानी पड़ी।

- तभी वहां एक लेखपाल महोदय जो कागजों में हेराफेरी की वजह से निलम्बित हो गये थे,पानी पीने आए। कवि की लिखी पंक्तियों पर जब उनकी नजर पड़ी तो अनायास ही उनके मुंह से निकल पड़ा,कितनी सही बात लिखी है! क्योंकि उन्होने उसे कुछ इस तरह पढ़ा-

"कागद ही पर जान गंवायो"

लेखपाल महोदय के दिमाग में उनके कागज चल रहे थे,अतः उन्हें काग दही कागद ही पढ़ने में आए।

- तभी एक मजनू टाइप लड़का पिटा-पिटाया सा वहां पानी पीने आया। उसे भी लगा कितनी सच्ची बात लिखी है काश उसे ये पहले पता होती, क्योंकि उसने उसे कुछ यूं पढ़ा था-

"का गदही पर जान गंवायो"

उस मजनूँ ने लड़की के कारण मार खाई।कष्ट होने पर लड़के को लड़की गदही जैसी लगने लगी।उसने दुखी होकर इस पंक्ति को वैसे पढ़ा।
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शायद इसीलिए तुलसीदास जी ने बहुत पहले ही लिख दिया था,
"जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी"।

हम वह नहीं देखते,जो सच में होता है।हम वह देखते हैं,जो हम देखना चाहते हैं।

ठीक इसी प्रकार ईश्वर की मूर्ति भी हमारे भावों का दर्पण होती है।सबको अपना अपना इष्ट भी वैसा ही नजर आता है,जैसे जैसे हमारे भाव और विचार उसके प्रति होते हैं।

Tuesday, January 12, 2021

सनातन धर्म की जानकारी

स पोस्ट को समय निकाल कर एक बार जरूर पढ़ें, ऐसी जानकारी  बार-बार नहीं आती, और आगे भेजें, ताकि लोगों को सनातन धर्म की जानकारी हो  सके आपका आभार धन्यवाद होगा| 

1-अष्टाध्यायी               पाणिनी

2-रामायण                    वाल्मीकि

3-महाभारत                  वेदव्यास

4-अर्थशास्त्र                  चाणक्य

5-महाभाष्य                  पतंजलि

6-सत्सहसारिका सूत्र      नागार्जुन

7-बुद्धचरित                  अश्वघोष

8-सौंदरानन्द                 अश्वघोष

9-महाविभाषाशास्त्र        वसुमित्र

10- स्वप्नवासवदत्ता        भास

11-कामसूत्र                  वात्स्यायन

12-कुमारसंभवम्           कालिदास

13-अभिज्ञानशकुंतलम्    कालिदास  

14-विक्रमोउर्वशियां        कालिदास

15-मेघदूत                    कालिदास

16-रघुवंशम्                  कालिदास

17-मालविकाग्निमित्रम्   कालिदास

18-नाट्यशास्त्र              भरतमुनि

19-देवीचंद्रगुप्तम          विशाखदत्त

20-मृच्छकटिकम्          शूद्रक

21-सूर्य सिद्धान्त           आर्यभट्ट

22-वृहतसिंता               बरामिहिर

23-पंचतंत्र।                  विष्णु शर्मा

24-कथासरित्सागर        सोमदेव

25-अभिधम्मकोश         वसुबन्धु

26-मुद्राराक्षस               विशाखदत्त

27-रावणवध।              भटिट

28-किरातार्जुनीयम्       भारवि

29-दशकुमारचरितम्     दंडी

30-हर्षचरित                वाणभट्ट

31-कादंबरी                वाणभट्ट

32-वासवदत्ता             सुबंधु

33-नागानंद                हर्षवधन

34-रत्नावली               हर्षवर्धन

35-प्रियदर्शिका            हर्षवर्धन

36-मालतीमाधव         भवभूति

37-पृथ्वीराज विजय     जयानक

38-कर्पूरमंजरी            राजशेखर

39-काव्यमीमांसा         राजशेखर

40-नवसहसांक चरित   पदम् गुप्त

41-शब्दानुशासन         राजभोज

42-वृहतकथामंजरी      क्षेमेन्द्र

43-नैषधचरितम           श्रीहर्ष

44-विक्रमांकदेवचरित   बिल्हण

45-कुमारपालचरित      हेमचन्द्र

46-गीतगोविन्द            जयदेव

47-पृथ्वीराजरासो         चंदरवरदाई

48-राजतरंगिणी           कल्हण

49-रासमाला               सोमेश्वर

50-शिशुपाल वध          माघ

51-गौडवाहो                वाकपति

52-रामचरित                सन्धयाकरनंदी

53-द्वयाश्रय काव्य         हेमचन्द्र


वेद-ज्ञान:-


प्र.1-  वेद किसे कहते है ?

उत्तर-  ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।


प्र.2-  वेद-ज्ञान किसने दिया ?

उत्तर-  ईश्वर ने दिया।


प्र.3-  ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?

उत्तर-  ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।


प्र.4-  ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?

उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण         के लिए।


प्र.5-  वेद कितने है ?

उत्तर- चार ।                                                  

1-ऋग्वेद 

2-यजुर्वेद  

3-सामवेद

4-अथर्ववेद


प्र.6-  वेदों के ब्राह्मण ।

        वेद              ब्राह्मण

1 - ऋग्वेद      -     ऐतरेय

2 - यजुर्वेद      -     शतपथ

3 - सामवेद     -    तांड्य

4 - अथर्ववेद   -   गोपथ


प्र.7-  वेदों के उपवेद कितने है।

उत्तर -  चार।

      वेद                     उपवेद

    1- ऋग्वेद       -     आयुर्वेद

    2- यजुर्वेद       -    धनुर्वेद

    3 -सामवेद      -     गंधर्ववेद

    4- अथर्ववेद    -     अर्थवेद


प्र 8-  वेदों के अंग हैं ।

उत्तर -  छः ।

1 - शिक्षा

2 - कल्प

3 - निरूक्त

4 - व्याकरण

5 - छंद

6 - ज्योतिष


प्र.9- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?

उत्तर- चार ऋषियों को।

         वेद                ऋषि

1- ऋग्वेद         -      अग्नि

2 - यजुर्वेद       -       वायु

3 - सामवेद      -      आदित्य

4 - अथर्ववेद    -     अंगिरा


प्र.10-  वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?

उत्तर- समाधि की अवस्था में।


प्र.11-  वेदों में कैसे ज्ञान है ?

उत्तर-  सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।


प्र.12-  वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?

उत्तर-   चार ।

        ऋषि        विषय

1-  ऋग्वेद    -    ज्ञान

2-  यजुर्वेद    -    कर्म

3-  सामवे     -    उपासना

4-  अथर्ववेद -    विज्ञान


प्र.13-  वेदों में।


ऋग्वेद में।

1-  मंडल      -  10

2 - अष्टक     -   08

3 - सूक्त        -  1028

4 - अनुवाक  -   85 

5 - ऋचाएं     -  10589


यजुर्वेद में।

1- अध्याय    -  40

2- मंत्र           - 1975


सामवेद में।

1-  आरचिक   -  06

2 - अध्याय     -   06

3-  ऋचाएं       -  1875


अथर्ववेद में।

1- कांड      -    20

2- सूक्त      -   731

3 - मंत्र       -   5977

          

प्र.14-  वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ?                                                                                                                                                              उत्तर-  मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।


प्र.15-  क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?

उत्तर-  बिलकुल भी नहीं।


प्र.16-  क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?

उत्तर-  नहीं।


प्र.17-  सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

उत्तर-  ऋग्वेद।


प्र.18-  वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?

उत्तर-  वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व । 


प्र.19-  वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम है ?

उत्तर- 

1-  न्याय दर्शन  - गौतम मुनि।

2- वैशेषिक दर्शन  - कणाद मुनि।

3- योगदर्शन  - पतंजलि मुनि।

4- मीमांसा दर्शन  - जैमिनी मुनि।

5- सांख्य दर्शन  - कपिल मुनि।

6- वेदांत दर्शन  - व्यास मुनि।


प्र.20-  शास्त्रों के विषय क्या है ?

उत्तर-  आत्मा,  परमात्मा, प्रकृति,  जगत की उत्पत्ति,  मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक  ज्ञान-विज्ञान आदि।


प्र.21-  प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?

उत्तर-  केवल ग्यारह।


प्र.22-  उपनिषदों के नाम बतावे ?

उत्तर-  

01-ईश ( ईशावास्य )  

02-केन  

03-कठ  

04-प्रश्न  

05-मुंडक  

06-मांडू  

07-ऐतरेय  

08-तैत्तिरीय 

09-छांदोग्य 

10-वृहदारण्यक 

11-श्वेताश्वतर ।


प्र.23-  उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?

उत्तर- वेदों से।

प्र.24- चार वर्ण।

उत्तर- 

1- ब्राह्मण

2- क्षत्रिय

3- वैश्य

4- शूद्र


प्र.25- चार युग।

1- सतयुग - 17,28000  वर्षों का नाम ( सतयुग ) रखा है।

2- त्रेतायुग- 12,96000  वर्षों का नाम ( त्रेतायुग ) रखा है।

3- द्वापरयुग- 8,64000  वर्षों का नाम है।

4- कलयुग- 4,32000  वर्षों का नाम है।

कलयुग के  4,976  वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक।

4,27024 वर्षों का भोग होना है। 


पंच महायज्ञ

       1- ब्रह्मयज्ञ   

       2- देवयज्ञ

       3- पितृयज्ञ

       4- बलिवैश्वदेवयज्ञ

       5- अतिथियज्ञ

   

स्वर्ग  -  जहाँ सुख है।

नरक  -  जहाँ दुःख है।.


*#भगवान_शिव के  "35" रहस्य!


भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।


🔱1. आदिनाथ शिव : - सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है।


🔱2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : - शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।


🔱3. भगवान शिव का नाग : - शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।


🔱4. शिव की अर्द्धांगिनी : - शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।


🔱5. शिव के पुत्र : - शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।


🔱6. शिव के शिष्य : - शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।


🔱7. शिव के गण : - शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है। 


🔱8. शिव पंचायत : - भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।


🔱9. शिव के द्वारपाल : - नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।


🔱10. शिव पार्षद : - जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।


🔱11. सभी धर्मों का केंद्र शिव : - शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में वि‍भक्त हो गई।


🔱12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ अंतरराष्ट्रीय : -  ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।


🔱13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव : - भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।


🔱14. शिव चिह्न : - वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।


🔱15. शिव की गुफा : - शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा 'अमरनाथ गुफा' के नाम से प्रसिद्ध है।


🔱16. शिव के पैरों के निशान : - श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।


रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे 'रुद्र पदम' कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।


तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।


जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के मंदिर के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।


रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर 'रांची हिल' पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को 'पहाड़ी बाबा मंदिर' कहा जाता है।


🔱17. शिव के अवतार : - वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।


🔱18. शिव का विरोधाभासिक परिवार : - शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।


🔱19.  ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है। जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।


🔱20.शिव भक्त : - ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी।


🔱21.शिव ध्यान : - शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।


🔱22.शिव मंत्र : - दो ही शिव के मंत्र हैं पहला- ॐ नम: शिवाय। दूसरा महामृत्युंजय मंत्र- ॐ ह्रौं जू सः। ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जू ह्रौं ॐ ॥ है।


🔱23.शिव व्रत और त्योहार : - सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास में शिव व्रत रखे जाते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि शिव का प्रमुख पर्व त्योहार है।


🔱24.शिव प्रचारक : - भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।


🔱25.शिव महिमा : - शिव ने कालकूट नामक विष पिया था जो अमृत मंथन के दौरान निकला था। शिव ने भस्मासुर जैसे कई असुरों को वरदान दिया था। शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। शिव ने गणेश और राजा दक्ष के सिर को जोड़ दिया था। ब्रह्मा द्वारा छल किए जाने पर शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था।


🔱26.शैव परम्परा : - दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव परंपरा से हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की परंपरा से ही माने जाते हैं। भारत की असुर, रक्ष और आदिवासी जाति के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है।


🔱27.शिव के प्रमुख नाम : -  शिव के वैसे तो अनेक नाम हैं जिनमें 108 नामों का उल्लेख पुराणों में मिलता है लेकिन यहां प्रचलित नाम जानें- महेश, नीलकंठ, महादेव, महाकाल, शंकर, पशुपतिनाथ, गंगाधर, नटराज, त्रिनेत्र, भोलेनाथ, आदिदेव, आदिनाथ, त्रियंबक, त्रिलोकेश, जटाशंकर, जगदीश, प्रलयंकर, विश्वनाथ, विश्वेश्वर, हर, शिवशंभु, भूतनाथ और रुद्र।


🔱28.अमरनाथ के अमृत वचन : - शिव ने अपनी अर्धांगिनी पार्वती को मोक्ष हेतु अमरनाथ की गुफा में जो ज्ञान दिया उस ज्ञान की आज अनेकानेक शाखाएं हो चली हैं। वह ज्ञानयोग और तंत्र के मूल सूत्रों में शामिल है। 'विज्ञान भैरव तंत्र' एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव द्वारा पार्वती को बताए गए 112 ध्यान सूत्रों का संकलन है।


🔱29.शिव ग्रंथ : - वेद और उपनिषद सहित विज्ञान भैरव तंत्र, शिव पुराण और शिव संहिता में शिव की संपूर्ण शिक्षा और दीक्षा समाई हुई है। तंत्र के अनेक ग्रंथों में उनकी शिक्षा का विस्तार हुआ है।


🔱30.शिवलिंग : - वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।


🔱31.बारह ज्योतिर्लिंग : - सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।


 दूसरी मान्यता अनुसार शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेकों उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेकों पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्‍योतिर्लिंग में शामिल किया गया।


🔱32.शिव का दर्शन : - शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं, क्योंकि शिव का दर्शन कहता है कि यथार्थ में जियो, वर्तमान में जियो, अपनी चित्तवृत्तियों से लड़ो मत, उन्हें अजनबी बनकर देखो और कल्पना का भी यथार्थ के लिए उपयोग करो। आइंस्टीन से पूर्व शिव ने ही कहा था कि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।


🔱33.शिव और शंकर : - शिव का नाम शंकर के साथ जोड़ा जाता है। लोग कहते हैं- शिव, शंकर, भोलेनाथ। इस तरह अनजाने ही कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं। असल में, दोनों की प्रतिमाएं अलग-अलग आकृति की हैं। शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में दिखाया जाता है। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है। माना जाता है कि महेष (नंदी) और महाकाल भगवान शंकर के द्वारपाल हैं। रुद्र देवता शंकर की पंचायत के सदस्य हैं।


🔱34. देवों के देव महादेव : देवताओं की दैत्यों से प्रतिस्पर्धा चलती रहती थी। ऐसे में जब भी देवताओं पर घोर संकट आता था तो वे सभी देवाधिदेव महादेव के पास जाते थे। दैत्यों, राक्षसों सहित देवताओं ने भी शिव को कई बार चुनौती दी, लेकिन वे सभी परास्त होकर शिव के समक्ष झुक गए इसीलिए शिव हैं देवों के देव महादेव। वे दैत्यों, दानवों और भूतों के भी प्रिय भगवान हैं। वे राम को भी वरदान देते हैं और रावण को भी।


🔱35. शिव हर काल में : - भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। राम के समय भी शिव थे। महाभारत काल में भी शिव थे और विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण अनुसार राजा हर्षवर्धन को भी भगवान शिव ने दर्शन दिए थे 

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