Monday, April 14, 2014

उपहार

एक दिन एक सुपरवाइजर ने एक निर्माणाधीन इमरात की छठवीं मंज़िल से नीचे काम कर रहे मज़दूर को आवाज़ दी
किन्तु चल रहे निर्माण के शोर में मज़दूर ने सुपरवाइजरbकी आवाज़ नहीं सुनी.
तब सुपरवाइजर ने मज़दूर का ध्यान आकर्षित कराने केnलिए एक 10 रुपये का नोट फेंका जो मज़दूर के सामने गिरा. मज़दूर ने वह् नोट उठा कर जेब में रख लिया और अपना काम में लग गया.
इसके बाद सुपरवाइजर ने मज़दूर का फिर ध्यान आकर्षित कराने के लिए 50 रुपये का नोट फेंका.
मज़दूर ने नोट उठाया, जेब में रखा और फिर अपने काम में लग गया.

अबकी बार सुपरवाइजर ने मज़दूर का ध्यान आकर्षित कराने के लिए एक कंकड़ उठाया और फेंका जो कि ठीक मज़दूर के सिर पर लगा. इस बार मज़दूर ने सिर उठा कर देखा और सुपरवाइजर ने मज़दूर को अपनी बात समझाई.
यह कहानी हमारी जिन्दगी जैसी है. भगवान ऊपर से हमें कुछ संदेश देना चाहता है पर हम हमारी दुनियादारी में व्यस्त रहते हैं.
फिर भगवान हमें छोटे छोटे उपहार देता है
और हम उन उपहारों को रख लेते हैं यह देखे बिना कि वे कहाँ से आ रहे हैं.
हम भगवान को धन्यवाद नहीं देते हैं और
कहते हैं कि हम भाग्यवान हैं.
फिर भगवान हमें एक कंकड़ मारता है जिसे हम समस्या कहते हैं और फिर हम भगवान की ओर देखते हैं और संवाद करने
का प्रयास करते हैं.
अतः जिन्दगी में हमें जब भी कुछ मिलें तो तुरंत भगवान को धन्यवाद देना न भूलें और उस समय का इंतज़ार न करें
कि भगवान हमें कंकड़ मारे फिर हम उससे संवाद करें.
भगवान को तुरंत धन्यवाद देना न भूलें ............

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