कहीं रौशनी इतनी ज्यादा
उसे अंधेरों की तलाश है
कहीं अंधेरे घर खड़े हैं
उसके इंतजार में।
बाहर से दुनियां एक गेंद की तरह लगती जरूर
अंदर बटी नफरत और प्यार मे।
कहें दीपक बापू
जिन चीजों में दिल लगता है
महंगी मिलती बाज़ार में
अपने घाव सहलाने के लिये क्यों हमदर्द ढूंढे
अमीर हो गये बहुत लोग
जज़्बातों के व्यापार में।
-दीपक बापू
उसे अंधेरों की तलाश है
कहीं अंधेरे घर खड़े हैं
उसके इंतजार में।
बाहर से दुनियां एक गेंद की तरह लगती जरूर
अंदर बटी नफरत और प्यार मे।
कहें दीपक बापू
जिन चीजों में दिल लगता है
महंगी मिलती बाज़ार में
अपने घाव सहलाने के लिये क्यों हमदर्द ढूंढे
अमीर हो गये बहुत लोग
जज़्बातों के व्यापार में।
-दीपक बापू
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