Thursday, December 3, 2020

शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम कहानी : सच्चाई

 आगरा के ताजमहल को शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम कहानी का प्रतीक कहा जाता है.



लेकिन शाहजहाँ और मुमताज की प्रेम कहानी को इतिहासकार शुरू के नकारते आयें हैं. शाहजहाँ और मुमताज की कोई प्रेम कहानी नहीं थी, बल्कि इनके जीवन की सच्चाई प्रेम कहानी से बिलकुल अलग थी.

  • मुमताज का असली नाम अर्जुमंद-बानो-बेगम” था, जो शाहजहाँ की पहली पत्नी नहीं थी.
  • मुमताज के अलावा शाहजहाँ की 6  और पत्नियां भी थी और इसके साथ उसके हरम में 8000 रखैलें भी थी.
  • मुमताज शाहजहाँ की चौथे नम्बर की पत्नी थी. मुमताज से पहले शाहजहाँ 3 शादियाँ कर चुका था. मुमताज से शादी करने के बाद 3 और लड़कियों से विवाह किया था.
  • मुमताज का विवाह शाहजहाँ से होने से पहले मुमताज शाहजहाँ के  सूबेदार शेर अफगान खान की पत्नी थी. शाहजहाँ ने मुमताज का हरम कर विवाह किया.
  • मुमताज से विवाह करने के लिए शाहजहाँ ने मुमताज के पहले पति की हत्या करवा दी थी.
  • शाहजहाँ से विवाह के पहले मुमताज का शेर अफगान खान से एक बेटा भी था.
  • मुमताज शाहजहाँ के बीवियों में सबसे खुबसूरत नहीं थी. बल्कि उसकी पहली पत्नी इशरत बानो सबसे खुबसूरत थी.
  • मुमताज की मौत  उसके 14 वे बच्चे के जन्म के बाद हुई थी.

38-39 बरस की उम्र तक मुमताज तकरीबन हर साल गर्भवती रहीं. शाहजहांनामा में मुमताज के बच्चों का ज़िक्र है. इसके मुताबिक-

1. मार्च 1613: शहजादी हुरल-अ-निसा
2. अप्रैल 1614: शहजादी जहांआरा
3. मार्च 1615: दारा शिकोह
4. जुलाई 1616: शाह शूजा
5. सितंबर 1617: शहजादी रोशनआरा
6. नवंबर 1618: औरंगजेब

7. दिसंबर 1619: बच्चा उम्मैद बख्श
8. जून 1621: सुरैया बानो
9. 1622: शहजादा, जो शायद होते ही मर गया
10. सितंबर 1624: मुराद बख्श
11. नवंबर 1626: लुफ्त्ल्लाह
12. मई 1628: दौलत अफ्जा
13. अप्रैल 1630: हुसैनआरा
14. जून 1631: गौहरआरा

शाहजहां की बेगम मुमताज महल ने अपने 14वें बच्‍चे गौहर आरा के जन्‍म के दौरान 17 जून 1631 को दम तोड़ दिया था। मुमताज अपनी 19 साल के वैवाहिक जीवन में 10 साल से ज्‍यादा समय तक गर्भवती रहीं। 
 
- 17 मई 1612 को मुमताज महल और शाहजहां की शादी हुई। उन्‍होंने 14 बच्‍चों को जन्‍म दिया। इनमें से आठ लड़के और छह लड़कियां थीं। इनमें सिर्फ सात ही जिंदा बचे।
- शादी के बाद मुमताज महल ने लगातार 10 बच्‍चों को जन्‍म दिया। 

10वें और 11वें बच्‍चे के जन्‍म में पांच साल का अंतर था। 

1627 में वो 12वीं बार गर्भवती हुईं। 

दो साल बाद 1629 में 13वें बच्‍चे को जन्‍म दिया।  

14वें बच्‍चे को 1631 में जन्‍म देने के दौरान 30 घंटे की प्रसव पीड़ा से जूझते हुए मुमताज ने दम तोड़ दिया था। 30 घंटे तक प्रसव पीड़ा में रहीं थीं मुमताज...

  • मुमताज के मौत के तुरंत बाद शाहजहाँ ने मुमताज की बहन फरजाना से विवाह कर लिया था.

ये थी शाहजहाँ और मुमताज़ की प्रेमकहानी की सच्चाई.....

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