hindi999.blogspot.in
अगर आप कोशिश करे तो आपका कोई अंत नहीं. बस ऊँची उड़ान भरिये.
Sunday, October 10, 2021
What Is Ramsar Sites In Hindi ? / रामसर स्थल क्या है ?
Sunday, September 5, 2021
अष्टावक्र
अष्टावक्र का अर्थ है, आठ जगहों से मुड़ा हुआ। अष्ठावक्र नाम का एक ऋषि थे, जिनका शरीर आठ जगहों से मुड़ा हुआ था। वे अष्ठावक्र गीता के लिए जाने जाते है। इनके शरीर के इस अवस्था के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है।
उद्दालक नाम का एक ऋषि था और उसका एक प्रिय शिष्य था कहोद । उद्दालक ने अपने अपने प्रिय शिष्य कहोद की शादी अपनी बेटी सुजाता के साथ कर दिया। कुछ महीनों बाद सुजाता गर्भवती हो गई। एक दिन ऋषि कहोद शास्त्र का पठन कर रहे थे और उनसे पठन में गलती हो गई। तो गर्भ से उनके बेटे ने उन्हें टोक दिया कि वे शास्त्र का गलत पाठ कर रहे है। इस बात से गुस्सा होकर ऋषि कहोद ने अपने ही बेटे को इस अपमान के लिए श्राप दे दिया कि वो विकंलाग के रुप में जन्म लेगा और वो आठ जगहों से उसका शरीर टेड़ा होगा।
कुछ दिनों बाद ऋषि कहोद शास्त्र के लिए राजा जनक के दरबार में गए, जहां उन्हें ऋषि बंदी को शास्त्रार्थ में हराना था। जो व्यक्ति ऋषि बंदी से हार जाता था,उन्हें दंड स्वरूप पानी में डुबा दिया जाता था। यहीं हाल ऋषि कहोद का हुआ। वे हार गए और पानी में डुबो दिए गए।
इधर कहोद का बेटा , सुजाता के गर्भ से जन्म लिया। चुंकि श्राप के कारण उसका शरीर आठ जगहों से टेड़ा पैदा हुआ तो उन्हें अष्टावक्र का नाम मिला। बारह साल तक अष्टावक्र ने अपने नाना उद्दालक से शिक्षा ली। तब उन्हें अपने पिता और ऋषि बंदी के बारे में पता चला। उन्होंने इसका बदला लेने के लिए ऋषि बंदी से शास्त्रार्थ करने का निश्चय किया,और वे राजा जनक के दरबार में चले गए।
अष्टावक्र का कुरूप स्वरूप देखकर महल के सैनिक उस पर हंसने लगे। इस पर अष्टावक्र ने जवाब दिया कि इंसान की पहचान उसकी उम्र या रूप से नहीं बल्कि उसकी बुद्धि से होती है। बहुत कम ही समय में अष्टावक्र ने ऋषि बंदी को शास्त्रार्थ में हरा दिया। अब शर्त के अनुसार ऋषि बंदी को पानी में डुबाया जाना था। इस पर ऋषि बंधी अपने असली स्वरूप में आए और कहा कि ‘मैं वरुण देव का पुत्र हूं। मुझे मेरे पिता ने धरती पर मौजूद उच्च संतों को भेजने के लिए कहा था ताकि वह एक यज्ञ पूरा कर पाएं। अब जब मेरे पिता का यज्ञ संपन्न हो चुका है तब जितने भी ऋषियों को उन्होंने पानी में डुबोया था वे नदी के बांध से वापस आ जाएंगे’।
ऋषि कहोद वापस आए और उन्होंने अपने बेटे अष्टावक्र को श्राप से मुक्त किया। अष्टावक्र को विकंलागता से मुक्ति मिल गई।
अष्टावक्र गीता में अष्टावक्र और राजा जनक के बीच का संवाद है, जो हमें जीने की कला सिखाती है। इस किताब को रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद को पढ़ने को दिया था।
Sunday, August 22, 2021
इस कंडोंम का नाम डिपर रखने के पीछे एक मनोरंजन कहानी
Monday, July 26, 2021
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
यह न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता. - मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
यह न थी हमारी क़िस्मतअगर और जीते रहते
तेरे वादे पर जिए हम
कि ख़ुशी से मर न जाते
कोई मेरे दिल से पूछे
ये ख़लिश कहां से होती
तेरी नाज़ुकी से जाना कि
कभी तू ना तोड़ सकता
यह कहां की दोस्ती है
कोई चारासाज़ होता
रग ए संग से टपकता वह लहू
जिसे ग़म समझ रहे हो
हुए मर के जो रुसवा
न कभी जनाज़ा उठता
उसे कौन देख सकता कि
जो दुई की बू भी होती
ग़म अगरचे जां गुसिल है
ग़म ए इश्क़ गर ना होता
कहूं किस से मैं कि क्या है
मुझे क्या बुरा था मरना
यह मसाइल ए तस़उफ़
तुझे हम वली समझते
—मिर्ज़ा ग़ालिब
---------------------------------------
मुश्किल अल्फ़ाज़:
☆ विसाल --- मिलन.
☆ ऐतबार --- भरोसा.
☆ नीम --- आधा, अधूरा.
☆ कश --- खींचा, खिंचा हुआ.
☆ नीमकश --- आधा खिंचा हुआ.
☆ ख़लिश --- चुभन, जलन.
☆ नाज़ुकी --- कमज़ोरी, कोमलता.
☆ अहद --- क़सम, वादा, प्रतिज्ञा.
☆ बोदा --- खोखला.
☆ उस्तवार --- पक्का, मज़बूत.
☆ नास़ेह़ --- नसीहत/ज्ञान देने वाला.
☆ चारासाज़ --- ह़कीम, राह दिखाने वाला.
☆ ग़म गुसार --- हमदर्द.
☆ रगे संग --- पत्थर की नस, पत्थर पर बारीक निशान.
☆ शरार --- चिंगारी, अंगारा.
☆ ग़र्क़ --- डूबना.
☆ यगाना --- अकेला, एक.
☆ यकता --- बेमिसाल.
☆ दुई --- दो, जोड़ा.
☆ दो चार --- आमना सामना.
☆ जां गुसिल --- जान लेवा.
☆ शब --- रात.
☆ मसाइल --- मसला, मामला, समस्या.
☆ तसउफ़ --- अध्यात्म, रूहानी.
☆ बयान --- तक़रीर, व्याख्या.
☆ वली --- विद्वान, पीर.
☆ बादा ख़्वार --- शराब ख़ोर.
कोई उम्मीद बर नहीं आती ! कोई सूरत नज़र नहीं आती !! -मिर्ज़ा ग़ालिब
कोई उम्मीद बर नहीं आती !
कोई सूरत नज़र नहीं आती !!
नींद क्यों रात भर नहीं आती !!
आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हसी !
अब किसी बात पर नहीं आती !!
जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद !
पर तबियत इधर नहीं आती !!
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ !
वरना क्या बात कर नहीं आती ?
क्यों न चीखू कि याद करते है !
मेरी आवाज़ गर नहीं आती !!
दाग़-ए-दिल गर नज़र नहीं आता !
बू भी ऐ चारागर नहीं आती !!
हम वहा है जहाँ से हमको भी !
कुछ हमारी खबर नहीं आती !!
मरते है आरजू में मरने की !
मौत आती है पर नहीं आती !!
काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब !
शर्म तुमको मगर नहीं आती ! - मिर्ज़ा ग़ालिब
मायने
मुअय्यन = नियत, सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद = संयम तथा उपासना, चारागर = चिकित्सक
Sunday, March 14, 2021
काग दही पर जान गँवायो
जो हमारे दिमाग में चल रहा होता है,जैसी अच्छी बुरी भावना उस वस्तु या व्यक्ति विशेष के प्रति रखते हैं,उसी दृष्टि से हम आस पास का आकलन करते हैं और अपनी बात को सबके सामने रखते हैं।
जो जैसा देखना चाहता है,पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर देखता है।निम्नलिखित कहानी से स्पष्ट हो जाएगाः
एक बार एक कवि हलवाई की दुकान पहुंचे,जलेबी और दही ली और वहीं खाने बैठ गये। इतने में एक कौआ कहीं से आया और दही की परात में चोंच मारकर उड़ चला। हलवाई को बड़ा गुस्सा आया उसने पत्थर उठाया और कौए को दे मारा। कौए की किस्मत ख़राब,पत्थर सीधे उसे लगा और वो मर गया।
- ये घटना देख कवि हृदय जगा।वो जलेबी खाने के बाद पानी पीने पहुंचे तो उन्होने एक कोयले के टुकड़े से वहां एक पंक्ति लिख दी।
"काग दही पर जान गँवायो"
दही में चोंच मारने के कारण कौए को अपनी जान गंवानी पड़ी।
- तभी वहां एक लेखपाल महोदय जो कागजों में हेराफेरी की वजह से निलम्बित हो गये थे,पानी पीने आए। कवि की लिखी पंक्तियों पर जब उनकी नजर पड़ी तो अनायास ही उनके मुंह से निकल पड़ा,कितनी सही बात लिखी है! क्योंकि उन्होने उसे कुछ इस तरह पढ़ा-
"कागद ही पर जान गंवायो"
लेखपाल महोदय के दिमाग में उनके कागज चल रहे थे,अतः उन्हें काग दही कागद ही पढ़ने में आए।
- तभी एक मजनू टाइप लड़का पिटा-पिटाया सा वहां पानी पीने आया। उसे भी लगा कितनी सच्ची बात लिखी है काश उसे ये पहले पता होती, क्योंकि उसने उसे कुछ यूं पढ़ा था-
"का गदही पर जान गंवायो"
उस मजनूँ ने लड़की के कारण मार खाई।कष्ट होने पर लड़के को लड़की गदही जैसी लगने लगी।उसने दुखी होकर इस पंक्ति को वैसे पढ़ा।
---------------------
शायद इसीलिए तुलसीदास जी ने बहुत पहले ही लिख दिया था,
"जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी"।
हम वह नहीं देखते,जो सच में होता है।हम वह देखते हैं,जो हम देखना चाहते हैं।
ठीक इसी प्रकार ईश्वर की मूर्ति भी हमारे भावों का दर्पण होती है।सबको अपना अपना इष्ट भी वैसा ही नजर आता है,जैसे जैसे हमारे भाव और विचार उसके प्रति होते हैं।
Featured Post
प्रेरणादायक अनमोल वचन
जब आप कुछ गँवा बैठते है ,तो उससे प्राप्त शिक्षा को ना गवाएं बल्कि उसके द्वारा प्राप्त शिक्षा का भविष्य में इस्तेमाल करें | – दलाई लामा ज...
-
एक दिन एक सुपरवाइजर ने एक निर्माणाधीन इमरात की छठवीं मंज़िल से नीचे काम कर रहे मज़दूर को आवाज़ दी किन्तु चल रहे निर्माण के शोर में मज़दूर ने स...
-
एक गाँव मे साधु रहा करता था , वो जब भी नाचता तो बारिस होती थी . अतः गाव के लोगों को जब भी बारिस की जरूरत होती ...
-
लघु-कथा, 'गागर में सागर' भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। एक ग...